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14 May 2024 · 1 min read

मैने कब कहां ?

मैने कब कहां ?
तू नही तो कुछ नही जिंदगी मे
‘तेरी मर्जी , तू हि जाने ?
तेरा तुझको अर्पण …

पास होकर भी तू कहां साथ थी ?
प्यार था न तेरा कोई इंतजार …
तू तो बस नाम का रिश्ता
बिलकुल महेंगा बहेक बहेकासा

तू तो हैं एक अजबसी उल्झन …
एक तडपन, बेतुकी सी घुटन
तुझे दवा काम आई ना दुवा …
जैसे भटका हुवा राही आवारा

मैने कब कहां ? सुधर जाओ
मुझे आस हैं ना कोई उम्मीद
ना घुस्सा हैं ना प्यार कोई ?
यह कैसा रिश्ता ? इतना सस्ता

मैने कब कहां ? अपनी हो या पराई तुम …
साथ चलना खुशियां हो या गम कि परछाईया
मुझे तो बस्स निभाना हैं सिर्फ जीम्मेदारीया…
कोई साथ हो या ना हो हर हाल मे हैं जिना

Language: Hindi
85 Views
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