Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
13 May 2024 · 1 min read

गम की मुहर

गम की मुहर
***********

मोहब्बत कहां अब तो रिश्ते निभेंगे
कभी फर्ज था जो अब चाकरी हो गया
चेहरे पे उसने गम की मुहर लगा दी
शुक्र है मेरा प्यार आखिरी हो गया

– हरवंश हृदय

Loading...