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12 May 2024 · 1 min read

जीवन संगिनी

जीवन के सफर सुहाने में,
खुशियाॅं अपार हो लाई तुम।
दुख में -सुख में जीवन पथ पर,
देती हो संग दिखाई तुम।।
पल-पल, क्षण-क्षण निज जीवन का,
करती हो कभी भी व्यर्थ नहीं।
‘घर’ को ‘नंदनवन’ करने में,
कह सकता हूॅं असमर्थ नहीं।।

माॅं बाबुल का घर छोड़ दिया,
घर मेरा स्वर्ग बनाने को।
संगी-साथी सब छोड़ दिये,
बस मेरा साथ निभाने को।।
तुम त्यागमूर्ति, तुम वात्सल्य,
बस नारी का है अर्थ यही।
कोई कह दे ‘नारी निर्दय’,
तो इससे बड़ा अनर्थ नहीं।।

तुम श्रद्धा हो, तुम ममता हो,
बेशक अथाह तुम क्षमता हो।
समभाव सदा रह सकती हो,
चाहे पथ पर दुर्गमता हो।।
लिख पाऊॅं तुम पर चंद शब्द,
इतनी मुझमें सामर्थ्य नहीं,
कह दूॅं बस तुम बिन जीवन का,
रह जाता कोई अर्थ नहीं ।।

-✍️नवीन जोशी ‘नवल’

सप्तपदी की बत्तीसवीं वर्षगांठ पर समर्पित
(स्वरचित)

Language: Hindi
143 Views
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