Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
31 Oct 2023 · 1 min read

*मुश्किल है इश्क़ का सफर*

तेरी आंखों में सुकून मिलता है
देखता हूं इनमें तो ज़माना जलता है
बहुत मुश्किल है ये इश्क़ का सफ़र
फूल भी यहां कांटा लगता है

जाने क्यों मेरे दिल का सुकून
ज़माने को भाता नहीं है
देखकर मेरे दिल की हालत
क्यों उसे तरस आता नहीं है

बहुत प्यार करता हूं तुमसे मैं
लेकिन प्यार से ये कैसा बैर है जहां को
कुछ न कुछ कहना है बस उसे तो
मेरी खुशियों से कहां मतलब है जहां को

बैरी ज़माने से भी लड़ लूंगा मैं
जो तू साथ है मेरे, इस इश्क की राहों में
कुछ और ख्वाइश नहीं रहती इश्क़ में
बस मेरी जान, तू रहे हमेशा मेरी बाहों में

तमन्ना चाह इच्छा सब एक है
इश्क़ रहे तेरा मेरा ये ज़िंदगी भर
ज़माने के तानों को भी सह लेंगे
साथ चलूंगा हमेशा, तू फिक्र न कर

तेरे साथ से ही है अब मेरी ज़िंदगी
जानेमन, तू ही तो है अब मेरी बंदगी
ज़माने के दीए सारे गम भूल जाता हूं
जब तू दिख जाती है मेरी ज़िंदगी।

Loading...