Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Dec 2023 · 7 min read

धार्मिक सौहार्द एवम मानव सेवा के अद्भुत मिसाल सौहार्द शिरोमणि संत श्री सौरभ

सत्य, सौहार्द, आपसी एकता, प्रेम, भाईचारे के साक्षात प्रतिमूर्ति- संत श्री डॉ. (प्रो.) सौरभ जी महाराज
============================
©आलेख: डॉ. अभिषेक कुमार

इस दुनियाँ में जाति पाती, धर्म, सम्प्रदाय के बीच दिन प्रतिदिन गहरी खाई बढ़ती ही चली जा रही है जिससे मानव होने का मानवीय संवेदनाएं, नैतिक मूल्यों का ह्रास हो रहा है। प्रत्येक व्यक्ति अपने-अपने जाति, धर्म, मजहब के परिसीमा में रहते हुए अपने ही कुनबे के किसी अग्रनेता, प्रणेता को सर्वोपरि मान रहा है दूसरे किसी श्रेष्ठजनों की महिमा को समझने के लिए वह तैयार ही नहीं है जिससे देश, दुनियाँ, समाज कई धड़ो में बंट चुका है और आये दिन नित्य नवीन द्वंद, क्लेश, झगड़े-झंझट कलहपूर्ण का माहौल वातावरण में खतरनाक विनाशकारी रूप ले रहा है। ऐसे में उत्तर प्रदेश के गोरक्ष भूमि के कस्बा भस्मा, डवरपार गोरखपुर में एक साधारण किसान परिवार में जन्में और आपसी एकता, प्रेम, भाईचारे, सर्वधर्म सौहार्द की ज्योत जगाने वाले श्री डॉ. (प्रो.) सौरभ पाण्डेय जी इस वसुंधरा पर भेजे गए ईश्वर के एक विशेष दूत हैं। बाल्यकाल से ही विलक्षण प्रतिभा और आस-पड़ोस, सांसारिक मायाग्रस्त जीवन में खुद की अपनी एक अलग विशेष पहचान के साथ जीवन के नैया को प्रत्येक मजधार पर एक नए लोक मंगलकारी स्वरूप में उदयमान करने वाले श्री पाण्डेय जी के अभिव्यक्ति का क्या कहना..! दीन दयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय गोरखपुर से स्नातकोत्तर, पत्रकारिता में स्नातक, परास्नातक व्यवसाय प्रशासन बी.सी.ए, एम.डी (इ.यच) डी.लिट आदि की पढ़ाई पूर्ण करने के पश्चात समाज में व्याप्त बुराइयाँ, पिछड़ेपन, अभावग्रस्तता को देखते हुए इनके हृदय द्रवीभूत हुए और दिन-हीन समाज के मुख्य धारा से पिछड़े समुदाय की उत्थान हेतु अपने सुखों को तिलांजलि देकर निःस्वार्थ सेवा में लग गए।

जाति पाती धर्म संप्रदाय के ऊंच नीच, भेद भाव से आज समाज जो आग लगी है वह दिन प्रतिदिन बढ़ता ही चला जा रहा है ऐसे में संत श्री डॉ. सौरभ जी महराज स्पष्ट शब्दों में जनमानस को बताते है राम, कृष्ण, बुद्ध, महावीर, अल्ला, ईशा मसीह सब एक ही मूल तत्व है बस उपासना पद्धति अलग अलग है। देश काल के अनुसार उन सभी का नियम मर्यादा और संस्कृति अलग अलग है वस्तुतः सब एक ही परम तत्व है। सभी धर्मो के आदर्श महा विभूतियों के नाम के बाद कोई जाति सूचक, धर्म संप्रदाय सूचक शब्द या शीर्षक नहीं जुड़ा हुआ करता था। बीसवीं इक्कसवीं सताब्दी में जाति पाती धर्म संप्रदाय सूचक शब्दो का प्रचलन तेजी से बढ़ा। यह दुर्बल भावना वैसे कमजोर प्रभावहीन लोगो पर पड़ा जो अपने बल, बुद्धि, विवेक, प्राक्रम के बूते कुछ प्रभावशाली नहीं कर पाएं वे अपने पुरखों जाति कुल के नाम लेकर खुद को बड़ा और श्रेष्ठ होने की स्वघोषणा करने लगे। इससे समाज में जब एक मत, पंथ, सम्प्रदाय के बैनर तले लोग आपस में वर्चस्व की लड़ाई लड़ने लगेंगे तो निःसंदेह दूसरे मान्यतावादी लोगों से खूनी संघर्ष होगा। जब लोग मान्यतावाद, जाति पाती धर्म संप्रदायवाद से बाहर निकल कर मानवतावाद के स्वर बुलंद करेंगें तो निश्चित ही आपसी एकता, सहयोग, सौहार्द, प्रेम व तरक्की होगा। इन तथ्यों पर संत श्री डॉ. सौरभ जी महाराज का विशेष बल देखने को मिलता है।

सन 2000 ई. से अब तक निरक्षरों को साक्षर बनाने दिशा में अक्षर ज्ञान/हस्ताक्षर करने की सीख तथा सरकारी योजनाओं को जन-जन तक पहुँचाने संबंधी जागरूकता के दृष्टिगत स्वैच्छिक खुद के प्रयास से सैकड़ों गाँवों में चौपाल लगाई और 2008 में 100 दिवसीय तटबंध यात्रा किया जिसमें 427 गावों में सर्वधर्म सम्भाव हेतु चौपाल व मंदिर,मस्जिद गुरुद्वारा, गिरिजाघर और मानव-मानव में कोई भेद नहीं आदि धर्म स्थलों पर जन जागरूकता हेतु कार्यक्रम संचालित कर मानवीय प्रेम आपसी एकता भाईचारे का संदेश दिया जो कालजयी व ऐतिहासिक है।

समाज के अंतिम हासिये से लेकर सामान्य वर्गों के लोगो तक मानशिक मनोवृत्ति के बदलाव में चलचित्र फिल्मों से लोग बड़ा प्रभावित होते हैं और उसका प्रभाव उनके मन पर लंबे समय तक रहता है इस कारण संत श्री सौरभ जी महराज ने समाज को एक नई दिशा व रास्ता देने के लिए फिल्मो की ओर रुख किया और सैंकड़ो प्रेरक फ़िल्म, डॉक्यूमेंट्री आदि चलचित्रों का निर्माण किया जिसमें से कई मशहूर भी हुए।

ज्ञान ही शक्ति है, ज्ञान ही चेतना है, ज्ञान ही, ऊर्जा, उत्साह है, ज्ञान ही सत्य-असत्य, धर्म-अधर्म के बीच विवेक रूपी सेतु है इसी कारण संत श्री डॉ. सौरभ जी महाराज ने हिमालय के गिरी-गुफाओं, कंदराओं में मुनि भेष में कठिन तपस्या साधना भी किये जिसके फलस्वरूप सिद्धि, आत्मज्ञान जैसे दुर्लभता को हांसिल कर पुनः सांसारिक जीवन समाज में लौटे और परिवारजन, स्नेहीजनों के अत्यधिक दबाव के कारण सुश्री रागनी पाण्डेय जी से वैवाहिक बंधन में बंध गए। धर्मपूर्ण मर्यादाओं के सीमा में वैवाहिक दाम्पत्य जीवन तो शास्त्रों का आदेश है तथा सृष्टि विस्तार के मूल कारण व सृष्टि रचयिता ब्रह्मा जी के बनाएं विधि का विधान है। वैसे भी किसी व्यक्ति के पूर्णता तभी होती है जब वह वैवाहिक बंधन में बंधना है। अनादिकाल से भारत वर्ष में गृहस्थ आश्रम के संत महात्मा भी एक से बढ़कर एक हुए जिनका महिमामंडन देवतुल्य है और उन गृहस्थ तपोआश्रम में स्वयं देवताओं के राजा इंद्र भी आया करते थें। कुछ उसी कदर श्री पाण्डेय जी गृहस्थ जीवन के एक ऐसे गिने-चुने एक्का-दुक्का दिव्यकारी महात्मा व्यक्ति हैं जो सर्वधर्म सौहार्द मानवीय एकता प्रेम भाईचारे और बंधुत्व की सिफारिश करते हैं इसी लिए लोग इन्हें सौहार्द शिरोमणि के उपनाम से भी अलंकृत करते हैं।

सौहार्द शिरोमणि संत श्री डॉ. (प्रो) सौरभ जी महाराज का आभामंडल ओज-तेज बड़ा ही दिव्यमान है व इन्हें ज्योतिष विद्या में भी अच्छी पकड़ है तथा ये बेदाग छवि के साथ पूरे दुनियाँ में परिभ्रमण करते हैं और सर्व धर्म सौहार्द की अलख निर्भय और निडर हो कर आज वर्षो से जला रहे हैं। खास बात यह है कि जब ये किसी स्थानों का दौरा करते हैं तो सभी धर्म के लोग इनके साथ कदम-ताल मिला कर एक साथ बड़े ही प्रेम-मोहब्बत से चलते हैं जिसकी खूबसूरती की बखान के लिए शब्द कम पड़ जयेंगें। इनकी विद्वता, प्रचंडता को देखते हुए अफ्रीकन देश जिम्बाब्वे के बेबीस्टोन बाइबिल अंतर्राष्ट्रीय यूनिवर्सिटी के मानद कुलपति होने का गौरव प्राप्त हुआ। देश-विदेश की कई नामी-गिरामी संस्थाओं ने श्री पाण्डेय जी के मानवतावादी उद्देश्यों को लोहा माना और विश्व कल्याणकारी निहित सोच के मध्यनजर कई सम्मान उपाधि से अलंकृत किया गया जो काबिल-ए-तारीफ है। इनकी धर्म पत्नी श्रीमती रागनी पाण्डेय जी को गत वर्ष 2022 की मिसेज इंडिया विजेता घोषित किया गया। जिन्हें घरेलू चूल्हा-चौका, कुशल गृहणी व पारिवारिक सदस्यों एक सूत्र में बाँधने के एवज में मिला था।

उत्तर प्रदेश के जनपद गोरखपुर के समीप ग्राम भस्मा डवरपार में स्थित धराधाम निर्माणाअवस्था में है जो संत श्री सौरभ जी महराज के बेमिसाल और खूबसूरत सोच का नमूना देश-दुनियाँ के सामने आने वाला है। आप अवगत हों कि यह वह अद्भुत अलौकिक परिसर होगा जिसमें सभी धर्मों के आस्थालय जैसे कि मंदिर, मस्जिद, गिरिजाघर, गुरुद्वारा आदि एक ही परिसर में एक ही दीवालों को जोड़ते हुए होगें। जो विश्व शांति और आपसी एकता, अखण्डता, प्रेम, सौहार्द भाईचारे, सद्भावना और राष्ट्र एकता का अद्भुत अकल्पनीय प्रतीक होगा। यह धारा धाम मानवतावादी एक ऐसा स्थल होगा जो पूरी दुनिया को मानवीय पहलुओं को समेटे पुष्प गुच्छ के समान जहां से मधुर मनोरम खुशबू निरंतर वातावरण को सुगंधित करती रहेगी।

इस कलिकाल के अंधाधुंध व्यावसायिक जीवन में इंसान धन के पीछे इतना ईमान गिरवी रख दिया है की अब उसे छुड़ाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन सा प्रतीत होता है। इसी मोह एवं धार्मिक जातिगत भेद-भाव वैमनस्यता को समाप्त करने एवं मानवता को ज्योत हृदय में जगाने वास्ते सौहार्द शिरोमणि महामानव डॉ. (प्रो) सौरभ पांडेय जी ने अपनी संघर्षमयी जीवन के संघर्षों से तरास कर जो धराधाम परिसर का निर्माण कर रहे हैं वह एक इतिहास तथा प्राणिमात्र के कल्याणार्थ होगा। इनकी जीवनी पर बॉलीवुड अभिनेता श्री राजपाल यादव जी ने फ़िल्म बनाने की घोषणा भी किये हैं।

अनाचार, अत्याचार, पापाचार, भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए आवश्यक है नई पीढ़ी को पौराणिक गुरुकुल वैदिक शिक्षा दीक्षा पद्धति पर 21 वर्ष तक ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए ज्ञानयोग, ध्यानयोग, भक्तियोग और कर्मयोग पर आधारित शिक्षा ग्रहण कर जब बच्चे समाज में आएंगे तो निसंदेह ही सामाजिक कुरुतियों पर अंकुश लगेगा और एक स्वस्थ्य शिक्षित सभ्यवान, संस्कारित, मर्यादित समाज का निर्माण होगा। इसके लिए संत श्री डॉ. सौरभ जी महराज ने अपने निवास स्थान पर धराधाम इंटरनेशनल विद्यालय की भी स्थापना किया है जहां बच्चे भारतीय सत्य सनातन सभ्यता संस्कृति पर आधारित शिक्षा का ग्रहण करते हैं।

जिस व्यक्ति के भीतर मानवतावाद के बीज प्रस्फुटित हो जाता है, उसके मान्यतावादी जात-पात-सम्प्रदाय के भेदभाव भरी जुनूनी भावना का जड़ स्वतः सुषुप्त हो जाता है।
फिर उसका अन्तःकरण शुद्ध होकर ऐसे खिल उठता है, जैसे सूरज के उदय होने से कमलनी रस और पराग से परिपूर्ण हो उठती है ऐसे में सर्व धर्म सौहार्द की दीप जलाने वाले एकात्म मानववाद के उत्थान कर्ता संत श्री डॉ. सौरभ जी महराज का प्रयास ऐतिहासिक व अद्भुत है। धर्म संप्रदाय के नाम पर आपस में लड़ने झगड़ने, उलझने वाले लोगो को असल में पता ही नहीं है धर्म/शास्त्र के पठन, पाठन, अध्यन और मनन, चिंतन, अमल से जीवन में नियम का निर्माण होता है। नीयम पालन से जीवन में संयम/धैर्य का विकास होता है। इस संयम/धैर्य से अनुशासन का निर्माण होता है। अनुशासन से मर्यादा का निर्माण होता है। मर्यादा से संस्कार का निर्माण होता है और यह संस्कार ही उन्नति के मार्ग प्रशस्त करते हैं।

अतः अंत में कहना चाहूंगा कि किसी एक Artificial के परि सीमा में न रहकर विभिन्न मान्यताओं के सकारात्मक पहलुओं पर गौर किया जाए तो वह नि:संदेह मानवतावाद के सर्वश्रेष्ठ बिंदु होगा ऐसे महापुरुष सदियों में कभी-कभी जन्म लेते हैं और हम सभी बड़े भाग्यशाली है कि ऐसे लोगों के युग में जन्म लिए हैं। संत श्री डॉ. सौरभ जी महराज जैसे युग विभूतियों को आत्मसात करने से लाभ ही लाभ है हानि नहीं।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

भारत साहित्य रत्न व राष्ट्र लेखक उपाधि से अलंकृत
डॉ. अभिषेक कुमार
साहित्यकार, समुदायसेवी, प्रकृति प्रेमी व विचारक
मुख्य प्रबंध निदेशक
दिव्य प्रेरक कहानियाँ मानवता अनुसंधान केंद्र
जयहिन्द तेंदुआ, औरंगाबाद, बिहार
+ 91 9472351693
www.dpkavishek.in

Language: Hindi
313 Views

You may also like these posts

शिव भजन
शिव भजन
अभिनव अदम्य
।। मतदान करो ।।
।। मतदान करो ।।
Shivkumar barman
पीड़ा थकान से ज्यादा अपमान दिया करता है ।
पीड़ा थकान से ज्यादा अपमान दिया करता है ।
महेश चन्द्र त्रिपाठी
" चर्चा "
Dr. Kishan tandon kranti
तुझे देंगे धरती मां बलिदान अपना
तुझे देंगे धरती मां बलिदान अपना
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
नाचेगा चढ़ आपके
नाचेगा चढ़ आपके
RAMESH SHARMA
डाॅ. राधाकृष्णन को शत-शत नमन
डाॅ. राधाकृष्णन को शत-शत नमन
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
हस्ती
हस्ती
seema sharma
*सर हरिसिंह गौर की जयंती के उपलक्ष्य में*
*सर हरिसिंह गौर की जयंती के उपलक्ष्य में*
pratibha Dwivedi urf muskan Sagar Madhya Pradesh
नव रश्मियों में
नव रश्मियों में
surenderpal vaidya
युँ खुश हूँ मैं जिंदगी में अपनी ,
युँ खुश हूँ मैं जिंदगी में अपनी ,
Manisha Wandhare
बदलती हवाओं का स्पर्श पाकर कहीं विकराल ना हो जाए।
बदलती हवाओं का स्पर्श पाकर कहीं विकराल ना हो जाए।
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
*जिन पे फूल समझकर मर जाया करते हैं* (*ग़ज़ल*)
*जिन पे फूल समझकर मर जाया करते हैं* (*ग़ज़ल*)
Dushyant Kumar Patel
मां
मां
Sanjay ' शून्य'
बहुत कुछ पढ़ लिया तो क्या ऋचाएं पढ़ के देखो।
बहुत कुछ पढ़ लिया तो क्या ऋचाएं पढ़ के देखो।
सत्य कुमार प्रेमी
सरकार से हिसाब
सरकार से हिसाब
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
जिंदगी एक पहेली
जिंदगी एक पहेली
Surinder blackpen
नवरात्र में अम्बे मां
नवरात्र में अम्बे मां
Anamika Tiwari 'annpurna '
लगाव
लगाव
Kanchan verma
*धरती के सागर चरण, गिरि हैं शीश समान (कुंडलिया)*
*धरती के सागर चरण, गिरि हैं शीश समान (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
मुस्कुराहट
मुस्कुराहट
Santosh Shrivastava
रमेशराज के पशु-पक्षियों से सम्बधित बाल-गीत
रमेशराज के पशु-पक्षियों से सम्बधित बाल-गीत
कवि रमेशराज
पलकों में ही रह गए,
पलकों में ही रह गए,
sushil sarna
नव वर्ष का आगाज़
नव वर्ष का आगाज़
Vandna Thakur
जीने ना दिया
जीने ना दिया
dr rajmati Surana
कहीं से गुलशन तो कहीं से रौशनी आई
कहीं से गुलशन तो कहीं से रौशनी आई
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
अगहन कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को उत्पन्ना एकादशी के
अगहन कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को उत्पन्ना एकादशी के
Shashi kala vyas
चलो कहीं दूर जाएँ हम, यहाँ हमें जी नहीं लगता !
चलो कहीं दूर जाएँ हम, यहाँ हमें जी नहीं लगता !
DrLakshman Jha Parimal
बस यूँ ही
बस यूँ ही
sheema anmol
स्वर्णपरी🙏
स्वर्णपरी🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
Loading...