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7 May 2024 · 1 min read

कुछ नहीं बचेगा

कुछ नहीं बचेगा
बह जाएगा सब समय की धारा में
रह जाएगा एक पछतावा, एक धुंँधली स्मृति!
हमारे बीच
अब केवल
कुछ शब्द बचे हैं
जर्जर असहाय बेबस अर्थविहीन
मिट जायेंगे ये प्रतीक
ढह जाएगी वह हर इमारत
जिस पर बसेरा है
किसी अनगढ़ चिरैया का!
-आकाश अगम

Language: Hindi
2 Likes · 106 Views

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