Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 May 2024 · 1 min read

मैं सोचता हूँ कि आखिर कौन हूँ मैं

मैं सोचता हूँ कि आखिर कौन हूँ मैं
अपने ही सवालों से बस मौन हूँ मैं

बचपन से जवानी खयालों में गुजरी
हर घड़ी देखो बस सवालों मैं गुजरी
डूबा रहा दिल ख्वाबों के साये में
ढूंढता रहा खुद को खुद मौन हूँ मैं
अपने ही सवालों से बस मौन हूँ मैं

जवानी थी बहारों और उमंगों भरी
तितली व फूलों जैसी थी रंगो भरी
जवानी गुजरी सपनो के साये में
ढूंढता रहा खुद को खुद मौन हूँ मैं
अपने ही सवालों से बस मौन हूँ मैं

गृहस्थी में कमाते रहे फुर्सत कहाँ है
उलझी हुई पहेली यह जीवन यहाँ है
रह रहे सब जद्दोजहद के साये में
ढूंढता रहा खुद को खुद मौन हूँ मैं
अपने ही सवालों से बस मौन हूँ मैं

“V9द” तेरी जिंदगी कोई कयास है
भ्रम का है खेल बस झूठी आश है
जी रहे बस सभी मौत के साये में
ढूंढता रहा खुद को खुद मौन हूँ मैं
अपने ही सवालों से बस मौन हूँ मैं

स्वरचित
V9द चौहान

1 Like · 119 Views
Books from VINOD CHAUHAN
View all

You may also like these posts

ज्ञान वापी दर्शन (घनाक्षरी छंद)
ज्ञान वापी दर्शन (घनाक्षरी छंद)
guru saxena
आज ईद का दिन है
आज ईद का दिन है
Jyoti Roshni
प्रेम गीत :- वक़्त का कारवां...
प्रेम गीत :- वक़्त का कारवां...
मनोज कर्ण
समय बदलता तो हैं,पर थोड़ी देर से.
समय बदलता तो हैं,पर थोड़ी देर से.
Piyush Goel
दोहा त्रयी. . . क्रोध
दोहा त्रयी. . . क्रोध
Sushil Sarna
हरदा अग्नि कांड
हरदा अग्नि कांड
GOVIND UIKEY
तक़दीर का ही खेल
तक़दीर का ही खेल
Monika Arora
मुक्तक
मुक्तक
अनिल कुमार निश्छल
तबीयत मचल गई
तबीयत मचल गई
Surinder blackpen
मेरे खामोश होते ही
मेरे खामोश होते ही
Madhuri mahakash
Neem karoli baba bhajan
Neem karoli baba bhajan
Sartaj sikander
शिक्षाविदों का कहना है कि तनाव के भरे आधुनिक दौर में छपी हुई
शिक्षाविदों का कहना है कि तनाव के भरे आधुनिक दौर में छपी हुई
पूर्वार्थ
के अब चराग़ भी शर्माते हैं देख तेरी सादगी को,
के अब चराग़ भी शर्माते हैं देख तेरी सादगी को,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
हुस्न खजाना
हुस्न खजाना
C S Santoshi
नानी का घर
नानी का घर
सुरेश ठकरेले "हीरा तनुज"
dr arun kumar shastri
dr arun kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
नारी है नारायणी
नारी है नारायणी
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
नए अल्फाज
नए अल्फाज
Akash RC Sharma
बदलने लगते है लोगो के हाव भाव जब।
बदलने लगते है लोगो के हाव भाव जब।
Rj Anand Prajapati
किसे फुरसत है
किसे फुरसत है
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
'दीप' पढ़ों पिछडों के जज्बात।
'दीप' पढ़ों पिछडों के जज्बात।
Kuldeep mishra (KD)
" साड़ी "
Dr. Kishan tandon kranti
ओबीसी साहित्य
ओबीसी साहित्य
Dr MusafiR BaithA
गुनाहों के देवता तो हो सकते हैं
गुनाहों के देवता तो हो सकते हैं
Dheeru bhai berang
हमारी दीवाली दो पैसों वाली
हमारी दीवाली दो पैसों वाली
Meera Thakur
पुनर्आगमन
पुनर्आगमन
अंकित आजाद गुप्ता
बंधन
बंधन
Sanjeev Chandorkar
सम्मान की लालसा
सम्मान की लालसा
Sudhir srivastava
तमाम लोग
तमाम लोग "भोंपू" की तरह होते हैं साहब। हर वक़्त बजने का बहाना
*प्रणय*
The Tapestry of Humanity
The Tapestry of Humanity
Shyam Sundar Subramanian
Loading...