खुद को तुम भी समझा लेना, !
*परिमल पंचपदी--- नवीन विधा*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
महिलाएं अक्सर हर पल अपने सौंदर्यता ,कपड़े एवम् अपने द्वारा क
कुंडलिया
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
You have limitations.And that's okay.
इंसान भी कितना मूर्ख है कि अपने कर्मों का फल भोगता हुआ दुख औ
*दिन-दूनी निशि चौगुनी, रिश्वत भरी बयार* *(कुंडलिया)*
हालात हैं सुधरते,,,, गज़ल
ज़िंदगी को जीना है तो याद रख,
जंग अपनी आंखों से ओझल होते देखा है,
वो मेरी जान, मुझे बहुत याद आती है(जेल से)
वेदना वेदना की
पूनम 'समर्थ' (आगाज ए दिल)