ईधर बिखरे उधर बिखरे

ईधर बिखरे उधर बिखरे
जिधर देखो उधर बिखरे
ख्वाब वो जो हमने देखे बुने थे
हम ही न जाने किधर बिखरे
सपने संजोए थे जो हमने
वो सपने हैं ढ़ेर हुए सूनेपन में
अरमानों की लड़ियां टूटी गई हैं
मन के मोती निकल बिखरे
ख्वाब जो हमने….
चाहे घेरा गम ने हमको
कोशिश रही न आँखें नम हों
चोट लगी पर खामोश रहे हम
बेशक नयनों से अश्रु बिखरे
ख्वाब जो हमने…..
पग-पग हैं राहें मुश्किल
छिप जाती है जैसे मंजिल
सब फूल कली गुलशन मुरझाए
जीवन पथ पर कंटक बिखरे
ख्वाब जो हमने……
इधर बिखरे उधर बिखरे
जिधर देखो उधर बिखरे