Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Apr 2024 · 1 min read

कातिल

कैसा गजब का मंजर वो
न रक्त का एक बूंद गिरा
न किसी ने किसी पर
कोई गोली चलाई
न कोई किसी से
तनिक मात खाई
न ही धुआँ उठा
न किसी ने आग लगाई
फिर भी कत्ल हो गया
जब आहिस्ते से
वो कातिल
अपना घूँघट उठाई।

डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति

Language: Hindi
3 Likes · 4 Comments · 104 Views
Books from Dr. Kishan tandon kranti
View all

You may also like these posts

डमरू वर्ण पिरामिड
डमरू वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
बात
बात
Ajay Mishra
हमसे भी अच्छे लोग नहीं आयेंगे अब इस दुनिया में,
हमसे भी अच्छे लोग नहीं आयेंगे अब इस दुनिया में,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
जन्मदिन मुबारक हो
जन्मदिन मुबारक हो
Deepali Kalra
सीसे में चित्र की जगह चरित्र दिख जाए तो लोग आइना देखना बंद क
सीसे में चित्र की जगह चरित्र दिख जाए तो लोग आइना देखना बंद क
Lokesh Sharma
पहले देखें, सोचें,पढ़ें और मनन करें,
पहले देखें, सोचें,पढ़ें और मनन करें,
DrLakshman Jha Parimal
हरी दरस को प्यासे हैं नयन...
हरी दरस को प्यासे हैं नयन...
Jyoti Khari
अरदास भजन
अरदास भजन
Mangu singh
दूहौ
दूहौ
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
मुखर मौन
मुखर मौन
Jai Prakash Srivastav
कोई फ़र्क़ पड़ता नहीं है मुझे अब, कोई हमनवा हमनिवाला नहीं है।
कोई फ़र्क़ पड़ता नहीं है मुझे अब, कोई हमनवा हमनिवाला नहीं है।
*प्रणय*
कौवों को भी वही खिला सकते हैं जिन्होंने जीवित माता-पिता की स
कौवों को भी वही खिला सकते हैं जिन्होंने जीवित माता-पिता की स
गुमनाम 'बाबा'
सत्तावन की क्रांति का ‘ एक और मंगल पांडेय ’
सत्तावन की क्रांति का ‘ एक और मंगल पांडेय ’
कवि रमेशराज
पढ़ो और पढ़ाओ
पढ़ो और पढ़ाओ
VINOD CHAUHAN
" जीवन "
Dr. Kishan tandon kranti
स्वर्गीय लक्ष्मी नारायण पांडेय निर्झर की पुस्तक 'सुरसरि गंगे
स्वर्गीय लक्ष्मी नारायण पांडेय निर्झर की पुस्तक 'सुरसरि गंगे
Ravi Prakash
अब सौंप दिया इस जीवन का
अब सौंप दिया इस जीवन का
Dhirendra Singh
बफेट सिस्टम
बफेट सिस्टम
Praveen Bhardwaj
एक शायर का दिल ...
एक शायर का दिल ...
ओनिका सेतिया 'अनु '
मैं तो ईमान की तरह मरा हूं कई दफा ,
मैं तो ईमान की तरह मरा हूं कई दफा ,
Manju sagar
रेत मुट्ठी से फिसलता क्यूं है
रेत मुट्ठी से फिसलता क्यूं है
Shweta Soni
दो कदम
दो कदम
Dr fauzia Naseem shad
तेरे लिए
तेरे लिए
ललकार भारद्वाज
आपके आने से
आपके आने से
Johnny Ahmed 'क़ैस'
दोनों मुकर जाएं
दोनों मुकर जाएं
अरशद रसूल बदायूंनी
23/41.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/41.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
गुरु ही साक्षात ईश्वर
गुरु ही साक्षात ईश्वर
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
पिता के बिना सन्तान की, होती नहीं पहचान है
पिता के बिना सन्तान की, होती नहीं पहचान है
gurudeenverma198
क्या हुआ यदि हार गए तुम ,कुछ सपने ही तो टूट गए
क्या हुआ यदि हार गए तुम ,कुछ सपने ही तो टूट गए
पूर्वार्थ
ये ढलती शाम है जो, रुमानी और होगी।
ये ढलती शाम है जो, रुमानी और होगी।
सत्य कुमार प्रेमी
Loading...