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28 Jul 2024 · 1 min read

कोई फ़र्क़ पड़ता नहीं है मुझे अब, कोई हमनवा हमनिवाला नहीं है।

कोई फ़र्क़ पड़ता नहीं है मुझे अब, कोई हमनवा हमनिवाला नहीं है।
तमामों को समझा चुका, तुम समझ लो, मेरा दिल कोई धर्मशाला नहीं है।।
👌प्रणय प्रभात👌

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