Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Apr 2024 · 1 min read

प्रीतम दोहावली

सफ़र बहुत आसान है, होना न परेशान।
सोच समझ कर चल सदा, लिए उचित तू ज्ञान।।//1

नयी बात तू सीखिये, रखिए नव अरमान।
निज पर का कल्याण हो, रहे उसी पर ध्यान।।//2

जैसे को तैसा मिले, कथन यही सच मीत।
छल करके छलना पड़े, यही जगत् की रीत।।//3

बुरा कभी मत मानिए, सुनकर तू बद बात।
लोहे को सोना करो, सुखमय हों हालात।।//4

रीति नीति हद सोचकर, कर ज़ीस्त का पान।
इसी कर्म के धर्म से, हो जग में गुणगान।।//5

बड़ा समझ ख़ुद को रहा, इस जग में अनजान।
कद रखिए इंसान का, ज्ञान यही वरदान।।//6

सबके अपने कार्य हैं, भाग्य भिन्न मुस्क़ान।
घृणा किसी से मत करो, दो सबको सम्मान।।//7

आर. एस. ‘प्रीतम’

Language: Hindi
2 Likes · 530 Views
Books from आर.एस. 'प्रीतम'
View all

You may also like these posts

संसार मेरे सपनों का
संसार मेरे सपनों का
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
जिंदगी में जितने महत्व पूर्ण है
जिंदगी में जितने महत्व पूर्ण है
पूर्वार्थ
कभी ताना कभी तारीफ मिलती है
कभी ताना कभी तारीफ मिलती है
Kaushlendra Singh Lodhi Kaushal
World Book Day
World Book Day
Tushar Jagawat
4204💐 *पूर्णिका* 💐
4204💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
- बीबी के पल्लू से झूल गए मां बाप को भूल गए -
- बीबी के पल्लू से झूल गए मां बाप को भूल गए -
bharat gehlot
आंखें
आंखें
Ghanshyam Poddar
" पलाश "
Dr. Kishan tandon kranti
तुम्हें सोचना है जो सोचो
तुम्हें सोचना है जो सोचो
singh kunwar sarvendra vikram
बिन बुलाए उधर गए होते
बिन बुलाए उधर गए होते
अरशद रसूल बदायूंनी
हे मेरे प्रिय मित्र
हे मेरे प्रिय मित्र
कृष्णकांत गुर्जर
There can be many ways to look at it, but here's my understa
There can be many ways to look at it, but here's my understa
Ritesh Deo
कृष्ण कन्हैया लाल की जय
कृष्ण कन्हैया लाल की जय
Vibha Jain
ग़ज़ल : तुमको लगता है तुम्हारी ज़िंदगी पुर-नूर है
ग़ज़ल : तुमको लगता है तुम्हारी ज़िंदगी पुर-नूर है
Nakul Kumar
खुदा की हर बात सही
खुदा की हर बात सही
Harminder Kaur
अवसाद।
अवसाद।
Amber Srivastava
कौन सताए
कौन सताए
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
बूढ़ी माँ ...
बूढ़ी माँ ...
sushil sarna
मुक्तक
मुक्तक
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
तुम काफ़ी हो
तुम काफ़ी हो
Rekha khichi
चेहरे ही चेहरे
चेहरे ही चेहरे
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Neelofar Khan
इस कदर आज के ज़माने में बढ़ गई है ये महगाई।
इस कदर आज के ज़माने में बढ़ गई है ये महगाई।
शेखर सिंह
लिखने के लिए ज़रूरी था
लिखने के लिए ज़रूरी था
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
अपने मन की बात
अपने मन की बात
RAMESH SHARMA
यूँ अदावतों का सफ़र तय कर रहे हो,
यूँ अदावतों का सफ़र तय कर रहे हो,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
काश.......
काश.......
Faiza Tasleem
क्या छिपा रहे हो
क्या छिपा रहे हो
Ritu Asooja
Poem
Poem
Prithwiraj kamila
इस मक़ाम पे बदल ना जाना मेरे दोस्त!
इस मक़ाम पे बदल ना जाना मेरे दोस्त!
Ajit Kumar "Karn"
Loading...