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2 Apr 2024 · 1 min read

“धरती”

“धरती”
धरती भी आज धधक रही,
जल बिन जिन्दगी तरस रही।
सीने में हो रहे रोज जख्म,
धरती की आत्मा कसक रही।

3 Likes · 3 Comments · 119 Views
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