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15 Mar 2024 · 1 min read

‘ग़ज़ल’

212 212 212 212

चाह मन में न हो याद आया न कर।
बे वजह देख हमको सताया न कर।।

आज फेरी निगाहें सरी राह में-
इस तरह भी हमें तू भुलाया न कर।

वक्त दे ना सके तू किसी को अगर-
तो उसे घर कभी भी बुलाया न कर।

है जमाना बुरा आजकल तो बहुत-
राज अपना किसी को बताया न कर।

इश्क हम से तुझे हो कि चाहे न हो-
गैर से इश्क अपना जताया न कर।

मुश्किलें तो बहुत हैं बता क्या करें-
सोचकर बात दिल को दुखाया न कर।

है अभी ग़म खुशी भी मिलेगी कभी-
अश्क दिन-रात तू यूँ बहाया न कर।

-गोदाम्बरी नेगी

Language: Hindi
139 Views
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