*तन मिट्टी का पुतला,मन शीतल दर्पण है*
🛕: हे मानव!! क्यों परेशान होता है?
दोहा पंचक. . . . मौसम आया प्यार का
- तेरे नाम यह जिंदगानी कर जाऊ -
दूसरो की लाइफ मैं मत घुसा करो अपनी भी लाइफ को रोमांचक होगी।
"" वार दूँ कुछ नेह तुम पर "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
मैं तुम्हारे बारे में नहीं सोचूँ,
रास्तों पर चलने वालों को ही,
Yogi Yogendra Sharma : Motivational Speaker
नहीं समझता पुत्र पिता माता की अपने पीर जमाना बदल गया है।
**** फागुन के दिन आ गईल ****
सनातन के महापर्व महाकुंभ का संरेखण विशेष रूप से शुभ माना जात
रखकर हाशिए पर हम हमेशा ही पढ़े गए
किसी न किसी बहाने बस याद आया करती थी,
यही पाँच हैं वावेल (Vowel) प्यारे