मेरा मनपसंदीदा शख्स अब मेरा नहीं रहा
इंसान स्वार्थी इसलिए है क्योंकि वह बिना स्वार्थ के किसी भी क
पहले मैं इतना कमजोर था, कि ठीक से खड़ा भी नहीं हो पाता था।
*अन्नप्राशन संस्कार और मुंडन संस्कार*
किसी को फर्क भी नही पड़ता
ज़िंदगी हमें हर पल सबक नए सिखाती है
सोभा मरूधर री
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
ज़िंदगी क्या है क्या नहीं पता क्या