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14 Feb 2024 · 1 min read

माणुसकी

जे मिळा‌लय ते घेत जावे
आपल्यातले थोडे, इतरांनाही देत जावे
हसू ओठातले हळूच येत रहावे
समोरच्याचे दुःख थोडे आपल्याही ह्रदयी पेलवावे

जे मिळवलयं त्याचा गर्व नाही
पण आनंद लुटत जावे
मागचेही आपल्या सोबत येतील
असे काहीतरी करत रहावे

देवू नाही शकलो जरी जन्म कोणाला
तरी जन्मलेल्यांना थोडे जगवून पहावे
आईपण आहे आपल्याही नशीबी
असे आपले कर्म करूनी दाखवावे

जातीभेद धर्मभेद अस्पृश्यता
कधीच मनी नाही बाळगावे
एकत्र तारे आपण ग्रहमा‌लेतले
प्रकाश देणारा देवच आहे

माझ्यातले थोडेसे तूलाही ठेव
असे बोलणारे दोन ओठच आहेत
जर कळल्या भावना दु:खीताच्या
मग किती महान ते हृदय आहे.

घे जरा समजून तूही मानवा
रित जगण्याची हीच आहे
मेल्यानंतरही जीवंत रहाण्याची
पद्धत म्हणतात माणुसकीच आहे

Language: Marathi
2 Likes · 203 Views

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