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14 Feb 2024 · 1 min read

कविता

कविता
देश की सच्ची सेवा करना,
केवल सैनिक कर्म नहीं।
मरना, मिटना, रक्षा करना,
केवल मौखिक धर्म नहीं।
इसके लिए कठिन तप,साहस,
और अर्चना चाहिए।
इसके लिए हृदय में वंदे,
भारत बसना चाहिए।
शिक्षक और चिकित्सक भीतो,
देश के सेवक होते है,।
गृहणी,बालक,वृद्ध संस्कृति,
रीति वाहक होते है।
कर्म करें कोई भी तोभारत,
श्रेष्ठ रहे ये भाव रखें।
सीमाओं कीसुरक्षा केसंग,
सुख समृद्धि सद्भाव रखें।
नाम देश का अमर और
यशगान रहेगा युग-युग जब।
अपना-अपना धर्म सभी को,
याद रहेगा पग-पग जब।

नमिता शर्मा

Language: Hindi
115 Views
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