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31 Dec 2023 · 1 min read

शीत …..

दोहा त्रयी. . . .

ओढ़ चदरिया ओस की, शीत मचाये शोर ।
स्वर्ण सुन्दरी सी लगे, भोली -भाली भोर ।।

दर्शन दुर्लभ हो गए, कहीं गई रे धूप ।
घनी धुंध ने शीत में, छीना इसका रूप ।।

लगे तीर सी शीत में, शीतल तीव्र बयार ।
इसके आगे तो गए, शाल रजाई हार ।।

सुशील सरना / 31-12-23

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