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8 Feb 2024 · 1 min read

“प्रेम रोग”

“प्रेम रोग”
रोशनी हो ना सकी, दिल भी जलाया मैंने,
तुझको भुला न पाया, लाख भुलाया मैंने।

है ये कैसी प्यास, जो अन्तहीन सी लगती,
बुझ ना सकी कभी वो, लाख बुझाया मैंने।

– डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति

7 Likes · 5 Comments · 336 Views
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