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27 Jan 2024 · 1 min read

नये वर्ष का आगम-निर्गम

, नये वर्ष का आगम-निर्गम
———–‐——————-
इस तरफ है आगमन तो उस तरफ है निर्गमन!
रात का आना भी तय,दिन का जाना भी तय !!

आगमन की बे-करारी,हृदय तन-मन उल्लसित,
सर झुका जाना जिसे है,छोड़कर सारा निलय !

एक का मुंह यदि उधर है ,एक का मुंह है इधर ,
है यही अनुराग दिल में,संक्रमण दोनों का तय!

सन्धि के उस काल में,तुम न तुम औ हम न हम,
मात्र छाया का मिलन है ,एक सा करता समय!

आत्मा का मिलन तो ,आत्मा से——–मेल है ,
फिर न जाने क्यों अँधेरे ,चाहते द्युति से मिलन !

इस जगत की नीति में है धुर विरोधी इक चलन,
आगतों की है खुशी औ निर्गमन का शोक तय!

आयेगा वो आयेगा,जायेगा वो ———- जायेगा,
वक्त भी क्या जंग खा हो ,हो पुराना क्या चलन!

धनिक तो धन के सहारे,आगमन का लुत्फ लेंगे,
झोंपड़ी दीपक बिना ही,तम तमा तम में विलय!

खैर,छोड़ो मस्तियां भी जिंदगी का —— अंग हैं,
हो सके सब साथ हो लो,कर रहा दिनकर विनय!
——————————————————–
मौलिक चिंतन/ स्वरूप दिनकर/आगरा

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