Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Jan 2024 · 1 min read

बाल कविता: चूहा

बाल कविता: चूहा

घर में आता मोटा चूहा,
मुंह में दाना खाता चूहा,
चमके आँखे मोटी मोटी,
लम्बी पूँछ हिलाता चूहा।

नुकीले दांत छोटे कान,
कुतरे कपडे करे नुकसान,
जूते काटे बिस्तर काटे,
सबको खूब सताता चूहा।

इधर उधर है दौड़ा फिरता,
नाली और गड्ढे में गिरता,
जब भी दिखती बिल्ली मौसी,
झट बिल में घुस जाता चूहा।

चूहा दान मां लेकर आई,
मक्खन रोटी उसमे लगाई,
सूंघी रोटी आया लालच,
जाल में फंस जाता चूहा।

*********📚*********
स्वरचित कविता 📝
✍️रचनाकार:
राजेश कुमार अर्जुन

2 Likes · 1 Comment · 423 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Rajesh Kumar Arjun
View all

You may also like these posts

वर्ण पिरामिड
वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
सफलता मेहनत और अनुशासन का नतीजा है, चमत्कार नहीं। हर दिन एक
सफलता मेहनत और अनुशासन का नतीजा है, चमत्कार नहीं। हर दिन एक
पूर्वार्थ देव
चाहत नहीं और इसके सिवा, इस घर में हमेशा प्यार रहे
चाहत नहीं और इसके सिवा, इस घर में हमेशा प्यार रहे
gurudeenverma198
साक्षात्कार- पीयूष गोयल दर्पण छवि लेखक
साक्षात्कार- पीयूष गोयल दर्पण छवि लेखक
Piyush Goel
4596.*पूर्णिका*
4596.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
अन्तस की हर बात का,
अन्तस की हर बात का,
sushil sarna
ना दुनिया जीये दी
ना दुनिया जीये दी
आकाश महेशपुरी
जब मरहम हीं ज़ख्मों की सजा दे जाए, मुस्कराहट आंसुओं की सदा दे जाए।
जब मरहम हीं ज़ख्मों की सजा दे जाए, मुस्कराहट आंसुओं की सदा दे जाए।
Manisha Manjari
माना दो किनारे हैं
माना दो किनारे हैं
Suryakant Dwivedi
बात मेरे मन की
बात मेरे मन की
Sûrëkhâ
*मेरी कविता कहती है क्या*
*मेरी कविता कहती है क्या*
Krishna Manshi (Manju Lata Mersa)
आँखों की गहराइयों में बसी वो ज्योत,
आँखों की गहराइयों में बसी वो ज्योत,
Sahil Ahmad
उन्हें जाने देते हैं...
उन्हें जाने देते हैं...
Shekhar Chandra Mitra
सर पर हाथ रख दूं तो आजाद हो जाएगा,
सर पर हाथ रख दूं तो आजाद हो जाएगा,
P S Dhami
*परिमल पंचपदी--- नवीन विधा*
*परिमल पंचपदी--- नवीन विधा*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
*दृष्टि में बस गई, कैकई-मंथरा (हिंदी गजल)*
*दृष्टि में बस गई, कैकई-मंथरा (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
***क्या है उनकी मजबूरियाँ***
***क्या है उनकी मजबूरियाँ***
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
"लफ्ज़...!!"
Ravi Betulwala
गई सुराही छूट
गई सुराही छूट
RAMESH SHARMA
कल तेरे नाम से दुनिया ने मुझको जाना था,
कल तेरे नाम से दुनिया ने मुझको जाना था,
Phool gufran
सुख और दुःख को अपने भीतर हावी होने न दें
सुख और दुःख को अपने भीतर हावी होने न दें
सोनम पुनीत दुबे "सौम्या"
छिपी हो जिसमें सजग संवेदना।
छिपी हो जिसमें सजग संवेदना।
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
विषय - श्री विश्वकर्मा जयंती उत्सव
विषय - श्री विश्वकर्मा जयंती उत्सव
Harminder Kaur
जय संविधान...✊🇮🇳
जय संविधान...✊🇮🇳
Srishty Bansal
अच्छा नहीं लगा
अच्छा नहीं लगा
विक्रम कुमार
वतन की आपबीती
वतन की आपबीती
ओनिका सेतिया 'अनु '
" नाम "
Dr. Kishan tandon kranti
बह्र 2122 2122 212 फ़ाईलातुन फ़ाईलातुन फ़ाईलुन
बह्र 2122 2122 212 फ़ाईलातुन फ़ाईलातुन फ़ाईलुन
Neelam Sharma
ना रास्तों ने साथ दिया,ना मंजिलो ने इंतजार किया
ना रास्तों ने साथ दिया,ना मंजिलो ने इंतजार किया
पूर्वार्थ
हार से डरता क्यों हैं।
हार से डरता क्यों हैं।
Yogi Yogendra Sharma : Motivational Speaker
Loading...