Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Jan 2024 · 3 min read

माँ कौशल्या के बिना

आज जब प्रभु श्रीराम के आगमन पर
हर कोई हर्षित और प्रफुल्लित है
राम जी को सब अपने अपने ढंग से
अपने भाव पुष्प अर्पित कर रहे हैं।
पर कोई भी माँ कौशल्या के मन के भाव
शायद पढ़ ही नहीं पा रहा है
या पढ़कर भी पढ़ना नहीं चाह रहा है।
अपने आराध्य, अपने प्रभु के आगमन की खुशी में
एक माँ के मन के भावों को भी पढ़ने
महसूस करने की जरूरत है।
राम को मर्यादा पुरुषोत्तम राम और
प्रभु श्रीराम बनने के पीछे
उनके दिए संस्कार, सीख और धैर्य का
जिनका सबसे अहम योगदान है,
त्रेता में राम के वनवास प्रस्थान पर
माँ कौशल्या ने धैर्य नहीं खोया था,
और ही न चीखीं, न चिल्लाई
न किसी को दोषी ही ठहराया,
न ही कैकेयी को अपमानित, उपेक्षित किया था,
ऐसा नहीं था कि वे दुःखी नहीं थीं
पर अपने दु:ख को अपने अंतर्मन में कैद किए थीं।
भरत जब राम को लाने वन को गए थे
तब भी कौशल्या ने अयोध्या वापसी के लिए
राम से एक बार भी नहीं कहा था
जबकि कैकेयी राम से अयोध्या वापसी का
बड़ा मनुहार कर रही थीं।
कौशल्या ने राम को पितृ आज्ञा
और मर्यादा का पालन करने से कभी नहीं रोका।
जैसे भरत और पूरी अयोध्या राम के
अयोध्या वापसी के दिन गिन रही थी
कौशल्या भी तो उन्हीं में से एक थीं,
अयोध्या की महारानी होने के साथ
कौशल्या एक माँ भी तो थीं।
पर ममता की आड़ में पुत्र को अपनी ही नजरों में
गिर जाने की सीख से बचाए रखा।
कौशल्या ने एक बार तो चौदह साल अपने लाल का
एक एक दिन गिन गिनकर इंतजार किया था,
तो दूसरी बार भी हम सबके साथ उन्होंने भी
पुत्र वियोग का लंबा दंश झेला है,
पर माँ कौशल्या पहले की तरह ही
धैर्य की प्रतिमूर्ति बन मौन रहीं,
सब कुछ समय और नियति के अधीन मान
समय का चुपचाप, इस पर का इंतजार करती रहीं,
क्योंकि सच कहें तो सबसे ज्यादा उन्हें ही
अपने लाल के वापस आने का अटल विश्वास था।
आज जब राम जी का आगमन हो गया
एक माँ का विश्वास राम मंदिर में
राम जी के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा के साथ
प्रतिष्ठित और दैदीप्यमान हो गया
जन मन का सपना जब पूरा हो गया
नया इतिहास जब बाइस जनवरी दो हजार चौबीस को
जब अयोध्याधाम में लिखा गया,
तब माता कौशल्या का मौन ममत्व
अब एक बार फिर जीत गया।
पहली बार अयोध्या के राजा राम वापस लौटे थे
और अब दूसरी बार जन जन के पालनहार
प्रभु श्रीराम अयोध्या लौटकर आये हैं।
जनमानस कुछ भी कहे या समझे
पर त्रेता हो या आज में कलयुग
कौशल्या के लिए तो उनका लाल ही लौटकर
वापस अपने घर, अपने धाम आया है,
कौशल्या कल भी मौन थीं और आज भी मौन हैं,
पर कोई तो बताए कि एक माँ से ज्यादा
भला खुश और कौन है?
वह नाम माँ कौशल्या के सिवा और क्या हो सकता ?
माँ कौशल्या की जगह और कौन ले सकता है?
जिसके कदमों में श्री राम का सिर गर्व से झुक सके।
वह नाम सिर्फ माता कौशल्या का ही हो सकता,
क्योंकि माँ कौशल्या के बिना हम सबके प्रभु
मर्यादा पुरुषोत्तम राम का नाम
भला जीवन मंत्र कैसे बन सकता था?
जय श्री राम का मंत्र सदियों से आज भी कैसे
अखिल ब्रह्माण्ड में गूँजित होता रह सकता था।

सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा उत्तर प्रदेश

Language: Hindi
1 Like · 79 Views

You may also like these posts

बदलते दौर में......
बदलते दौर में......
Dr. Akhilesh Baghel "Akhil"
हम कुछ इस तरह समाए हैं उसकी पहली नज़र में,
हम कुछ इस तरह समाए हैं उसकी पहली नज़र में,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
राधा का प्रेम कहें भक्ति कहें उनका नाम कृष्ण से जुदा हो नहीं
राधा का प्रेम कहें भक्ति कहें उनका नाम कृष्ण से जुदा हो नहीं
Vipin Jain
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर समस्त नारी शक्ति को सादर
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर समस्त नारी शक्ति को सादर
*प्रणय*
ज़िंदगी सबको अच्छी लगती है ।
ज़िंदगी सबको अच्छी लगती है ।
Dr fauzia Naseem shad
मैंने देखा है मेरी मां को रात भर रोते ।
मैंने देखा है मेरी मां को रात भर रोते ।
Phool gufran
आगे पीछे का नहीं अगल बगल का
आगे पीछे का नहीं अगल बगल का
Paras Nath Jha
- लोग मुझे आज भी तेरा दीवाना कहते है -
- लोग मुझे आज भी तेरा दीवाना कहते है -
bharat gehlot
प्यार विश्वाश है इसमें कोई वादा नहीं होता!
प्यार विश्वाश है इसमें कोई वादा नहीं होता!
Diwakar Mahto
दोहे
दोहे
डॉ नवीन जोशी 'नवल'
यह तो नहीं ज़िन्दगी!
यह तो नहीं ज़िन्दगी!
AWADHESH SINHA
अंगारों को हवा देते हैं. . .
अंगारों को हवा देते हैं. . .
sushil sarna
अपने मन की बात
अपने मन की बात
RAMESH SHARMA
कलम आज उनको कुछ बोल
कलम आज उनको कुछ बोल
manorath maharaj
Wait ( Intezaar)a precious moment of life:
Wait ( Intezaar)a precious moment of life:
पूर्वार्थ
शायरी - ग़ज़ल - संदीप ठाकुर
शायरी - ग़ज़ल - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
ना दुनिया जीये दी
ना दुनिया जीये दी
आकाश महेशपुरी
हुआ क्या है
हुआ क्या है
Neelam Sharma
ममता
ममता
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
अपने सफऱ में खुद की कमियाँ छांटता हूँ मैं ,
अपने सफऱ में खुद की कमियाँ छांटता हूँ मैं ,
Ravi Betulwala
रंग दे बसंती चोला
रंग दे बसंती चोला
डिजेन्द्र कुर्रे
मेरी कल्पना पटल में
मेरी कल्पना पटल में
शिव प्रताप लोधी
पहला पहला प्यार
पहला पहला प्यार
Rekha khichi
"सुप्रभात"
Yogendra Chaturwedi
" हुनर "
Dr. Kishan tandon kranti
मेला दिलों ❤️ का
मेला दिलों ❤️ का
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
मधुमाती होली
मधुमाती होली
C S Santoshi
लोवर टी शर्ट पहिन खेल तारी गोली
लोवर टी शर्ट पहिन खेल तारी गोली
नूरफातिमा खातून नूरी
3308.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3308.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
आप विषय पर खूब मंथन करें...
आप विषय पर खूब मंथन करें...
Ajit Kumar "Karn"
Loading...