Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
20 Jan 2024 · 1 min read

राम आयेंगे

एक सपना जो पांच दशकों से
हमारे पूर्वजों ने ही नहीं हमारे पुरखों ने भी देखा
और उम्मीदों के साथ ही दुनिया छोड़ गए
साथ ही अपने सपनों की विरासत
अपनी संतानों को विश्वास के साथ सौंपते गए।
दिन, महीने साल गुजरते गए
न ई पीढ़ी आती पुरानी जाती रही
पर सपनों के पूरा होने की उम्मीदें
कभी न धूमिल हुईं और न ही निष्प्राण हुईं।
हां! अनेकानेक दुश्वारियों के बीच
संघर्ष, त्याग, बलिदान का क्रम जारी रहा,
आशा, निराशा के बीच टिमटिमाते दिए की लौ ने
उम्मीदों का दामन पकड़ाये रखा,
विश्वास की ज्योति को न बुझने दिया
और अनेकानेक झंझावतों में भी
“राम आयेंगे” का भाव जगाते रखा।
अंततः वो सुबह हो ही गई
जब यह सनिश्चित हो गया कि
एक बार फिर राम जी आ रहे हैं,
जन्म में उत्साह का संचार हो गया
दुनिया छोड़ चुके हमारे पूर्वजों पुरखों की
आत्मा को आत्मसंतोष मिल गया।
आज की पीढ़ी के उनके बच्चों की खुशियां
उत्साह और तैयारियां बता रही हैं
कि “राम आयेंगे” हर जन मन का सपना
इतने लंबे अंतराल के बाद सही
आखिरकार पूरा हो ही गया।

सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा उत्तर प्रदेश

Loading...