"हां, गिरके नई शुरुआत चाहता हूँ ll
#प्रभात_वंदन (श्री चरण में)
आँखे हैं दो लेकिन नज़र एक ही आता है
हर किसी को नसीब नही होती ये जिंदगी।
जी करता है , बाबा बन जाऊं – व्यंग्य
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
रमेशराज के पर्यावरण-सुरक्षा सम्बन्धी बालगीत
नायब सिंह के सामने अब 'नायाब’ होने की चुनौती
जिंदा है हम
Dr. Reetesh Kumar Khare डॉ रीतेश कुमार खरे
कुंडलिया
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
वैसे नहीं है तू, जैसा तू मुझे दिखाती है,