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17 Dec 2023 · 1 min read

भूल भूल हुए बैचैन

भूल भूल हुए बैचैन
अहम अहमियत भूल बैचैन
चिन्तामनी रेखा ललाट आता
वक्त बार-बार समझाता पर
समझ नहीं पाता जग जन
काल गाल विशाल बना बैठा है
काल की चाल समझ नहीं पाता
मर्यादा विहीन को निज मर्यादा
परिस्थिति हालात विविध रूपों
में समझाने आता रहता है पर
समझ गए तो हुए मालो माल
नहीं समझे तो कालों की गाल
टी.पी. तरुण

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