तुझसे ही में हु, मुझमें ही तू जीवन प्यार का सफर कमाल का।

तुझसे ही में हु, मुझमें ही तू जीवन प्यार का सफर कमाल का।
डगर मे में हु,दिखती ही तू कसूर आंख का मौसम
कमाल का।
नींद मे में हु, सपने मे तू नशा चढ़ा मोहब्बत के इज़हार का।
प्रेमी में हु, मेरा अन्त तू तमन्ना मिलने की ख्वाब इकरार का।
सत्यवीर वैष्णव
बारां