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17 Nov 2023 · 1 min read

*देश भक्ति देश प्रेम*

शीर्षक -*देशभक्ति देश प्रेम*

मैं जाने कितने आँगन सूने
न जाने कितने कंगन टूटे
न जाने कितनी मांगे उजड़ी
इस देश प्रेम की खातिर
कितनों ने अपनी जान गवायी
देशभक्ति की खातिर।

मेरा देश मेरी माटी
मुझको सबसे प्यारी
क्या उनको भूल पाएंगे हम
जोकर गए देश के नाम अपना जीवन
आओ करें उनको शत-शत नमन
अपनी जान पर खेल गए
देश प्रेम और देशभक्ति की खातिर।

मां का सिसकता आँचल देखा
बहनों की आंखें भर आई
बना कलेजे को पत्थर
पिता ने अमिट छाप छोड़ी
देशभक्ति और देश प्रेम की खातिर।

देखो देश गौरव से चिल्लाता है
मेरा सैनिक कभी ना लड़खड़ाता है
ना पीछे मुड़कर देखा ना मुड़ने देता है
मेरे देश का हर एक वीर सिपाही
वीर जवान कहलाता है
देश भक्ति और देश प्रेम की खातिर
सौ सौ बार अपनी जान गवाता हैं।

हरमिंदर कौर
अमरोहा (उत्तर प्रदेश)

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