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2 Nov 2023 · 1 min read

********* हो गया चाँद बासी ********

********* हो गया चाँद बासी ********
********************************

करवा चौथ बीत गया हो गया चाँद बासी,
रूप की रानी रूप बदल कर हो गई दासी।

मक्का देखा ,मदीना देखा,देख ली काशी,
मेकअप उतरा देख चढ़ गया बंदा फ़ांसी।

मेघों में छिपकर चाँद बैठा रोककर खाँसी,
रंग बदले चिड़िया रानी जैसे पक्षी प्रवासी।

परी सा मुख देख होश खो बैठा भू वासी,
हर दिन की तरह नहीं मिलती उनसे राशि।

देख न पाया मनसीरत कंचन सुंदर काया,
सुंदर सूरत रास न आई जैसे जून छियासी।
*********************************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेडी राओ वाली (कैथल)

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