"" *गणतंत्र दिवस* "" ( *26 जनवरी* )
बसा के धड़कन में प्यार तेरा पलक भी सपने सजा रही है।
Jyoti Shrivastava(ज्योटी श्रीवास्तव)
इंसान की इंसानियत मर चुकी आज है
महिला प्रतीक है स्वाभिमान का
Prithvi Singh Beniwal Bishnoi
दिखता नहीं कहीं भी गांधी, ये कैसी लाचारी है?
हृदय में आपके जीवित रहूॅं
जीवन जीना अभी तो बाक़ी है
माँ बाप खजाना जीवन का
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
*वर्तमान पल भर में ही, गुजरा अतीत बन जाता है (हिंदी गजल)*
बापक भाषा
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
समझ आये तों तज्जबो दीजियेगा
मेरी फितरत है बस मुस्कुराने की सदा
रक्त दान के लाभ पर दोहे.
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
वसन्त का स्वागत है vasant kaa swagat hai