चलने दे मुझे... राह एकाकी....
प्यार में लेकिन मैं पागल भी नहीं हूं - संदीप ठाकुर
Holi mein rango se khelo logo mubaarak baat do Holi ke rang
बाण मां के दोहे
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
प्यार जताने का ये तरीका भी ठीक है ।
हिचकियों की मुझे तमन्ना है ,
अच्छा है कि प्रकृति और जंतुओं में दिमाग़ नहीं है
समल चित् -समान है/प्रीतिरूपी मालिकी/ हिंद प्रीति-गान बन
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
ना हम जैसा कोई हमारे बाद आएगा ,
मां के किसी कोने में आज भी बचपन खेलता हैयाद आती है गुल्ली डं
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
दुआएँ मिल जाये यही काफी है,
संदली सी सांझ में, ज़हन सफ़ेद-कागज़ के नाव बनाये।