Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
15 Jul 2023 · 1 min read

फितरत

फितरत बदल बदल के वो मशहूर हो गया
मुखिया से आज हर किसी का नूर हो गया

फितरत अरम अगर हो नचाता है आदमी
ख़ुद ख्याति देख आदमी मग़रूर हो गया

फितरत बुरी ईमान को डगमग बना रही
जिसके भी सिर चढ़ी नशे में चूर हो गया

फितरत है सब्र की मेरी चाहे भी जो कहो
ये सब्र इल्म दुनिया का दस्तूर हो गया

फितरत की दाद देते हैं दुश्मन मेरे सभी
मनमीत मन में जो गिला काफ़ूर हो गया

मनमीत

Loading...