मेरे इंतज़ार में मेरा चांद
मेरे इंतज़ार में मेरा चांद छत पर दिखाई देता है
देर हो जाने पर बेचैन चौखट पर दिखाई देता है
मुझे देखकर तुरंत वो तमतमाई घर में जाती है
खुश होकर वो नाराजगी का दिखावा करती है।
घर में सोफे पर वो जाकर गुमसुम बैठ जाती है
मेरे बोलने पर वो ना सुनने का बहाना करती है
मेरे बहुत मनाने के बाद वो मेरी ओर देखती है
फिर सीने से लगकर वो खूब शिकायतें करती है
जाकर किचन में वो ठंडे खाने को गर्म करती है
तहज़ीब से परोसती है लज़ीज़ मोहब्बत अपनी
फिर शुरू हो जाती हैं बाते उसकी दिन भर की
मेरे जाने के बाद जो आज घर से नहीं निकली
लगता है जब भी बातों से ये रात गुजर जाएगी
लबों को उसके चूम के उसे ख़ामोश कर देता हूं
झुक जाती हैं पलकें उसका मन थिरक उठता है
झरने सा फिर मुझपे बहता है बस यौवन उसका।