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13 Jun 2023 · 1 min read

पूर्णिका ,सरस्वती वंदना

सरस्वती वंदना
जहां कही चलो मुझे,,,,,सहर्ष ले चलो।
///////////////पूर्णिका/////////////////
जहां कही चलो मुझे,,,, सहर्ष ले चलो।
पकड़ सदैव हाथ को स्व धाम ले चलो।

नहीं अकेला छोड़ना अदृश्य में न भागना।
यहीं असीम कामना करूं अनंत साधना।

मना नहीं किया करो रखो मुझे सुसंग में।
रमा करो सदेह मातृ ,,,,,,ज्ञान प्रेम रंग में।

तुम्हें पुकार कह रही सुनो सुबोधिनी सदा।
चलो बनी सुशिक्षिका सुयोग योगिनी सदा।

पढूं लिखूं बनूं सुजान भक्ति दान दीजिए।
प्रकाश रूप में बहो विनीतवान कीजिए।

पवित्र निर्मला जला बनी थकान मेट दो।
नदी बनी सुगंगिनी शिवा तरान भेंट दो।

हरा भरा रहे हृदय स्व नाम धन्य भारती।
शुभेच्छु मातृ शारदे! सदैव बुद्धि आरती।

विमान हंस सद्विवेक नीर क्षीर भिन्न कर।
मां मुझे प्रकाश देके सरिता को समुद्र कर।

सुनीता गुप्ता सरिता कानपुर

Language: Hindi
183 Views
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