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13 Jun 2023 · 1 min read

मौत का क्या कसूर

टुट गया घर सपनों का,
बिछा गए सेज कांटों का,
यह कार्य और न किसी को,
सब दर्द दिए अपनों ने।
ना जाने कैसी तुफ़ान आई,
जो उड़ा ले गई सारे खुशी हमारे,
यह दोष नहीं गमों का,
सब आग लगाए अपने ने।
दुश्मन धोखा दे तो समझ आता है,
पर जब अपने ही धक्का दे कुएं में,
तो किस किस को गुनेहगार कहें हम।
जब सांप हमने ही पाले अपने घर में,
फिर बेचारा मौत का क्या कसूर।

Language: Hindi
1 Like · 242 Views
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