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12 Aug 2024 · 1 min read

मेहमान रात के

ग़ज़ल
2121 2122 1212 12
छाँट छाँटकर चुने मेहमान रात के।
आफ ताब से बुने मेहमान रात के।
दीप की चमक लिए जुगनु है दमक रहा-
मोतियों के झुनझुने मेहमान रात के।
आसमां की जुल्फ पर मोगरे लटक रहे-
हीरकों की हैं धुनें मेहमान रात के।
चाँद गीत रहा प्रेम और प्यार के-
राग हैं सुने सुने मेहमान रात के।
देख रूप रात का शीत भी ठहर गई-
धूप से हैं गुन गुने मेहमान रात के।
Gn

Language: Hindi
134 Views
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