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10 Apr 2023 · 1 min read

ग़ज़ल /

हत्यारे , गद्दार देखिए ।
कितने हैं ? मक्क़ार देखिए ।

लूट , रेप औ ‘ इश़्तहार से ,
भरे पड़े अख़बार देखिए ।

पल दो पल की ख़ुशी मिली तो ,
फिर दुख का बाज़ार देखिए ।

नदिया पूरी ज़हरीली है ,
आर देखिए , पार देखिए ।

मर्यादा का नाम नहीं है ,
जग़ह-जग़ह धिक्कार देखिए ।

विक्रेता ” ईश्वर ” के मिलते ,
मज़हब़ का व्यापार देखिए ।

—- ईश्वर दयाल गोस्वामी ।

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