Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
30 Jun 2021 · 1 min read

-कत्ल

कल चली वो ससुराल,
पहन सपनों का हार,
सजाएंगी खुशियों का संसार,
पर रूढ़िवादियों से पाला पड़ा,
कदम ना निकला कभी फिर घर से बाहर,
सिमट कर रह गई वो चारदिवार,
नारी बन किया क्या घोर पाप?
दायरों में रहो, दायरों में रहो यह थी बात,
पल पल’क़त्ल ‘हो रहा उसके सपनों का आज,
जिस पर था मुझे कुछ कर गुजरने का नाज़।

– सीमा गुप्ता

Loading...