Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
30 Jun 2021 · 1 min read

दुनिया

ये वो दुनिया है जहां बईमानी पलती है,
यहां हर किसी की दाल कहां गलती है ।

जिसके पास होगी लाठी भैंस उसी की,
अहिंसा तो वहां हाथ मलती रह जाती है ।

शराफत का तो अब जमाना ही न रहा,
गुंडागर्दी जहां पर सर चढ़कर बोलती है।

मेहनत करे कोई और बड़ी जान लगाकर,
नतीजे की मलाई किसी ओर चली जाती है ।

कामयाबी पाने की चूहा दौड़ में शामिल सभी ,
मगर यह मिठाई किस्मत वालों को मिलती है।

जीत के लिए तरह तरह के पैंतरे अपनाने होंगे ,
वरना ईमानदारी तो बेचारी ठोकर ही खाती है।

सच्चाई के रास्ते पर बस कांटे ही कांटे मिलते है ,
झूठ और मक्कारी फूलों की शैय्या पर सोती है।

कला का जोहर दिखाने को सजे है कई रंगमंच,
भोले पंछियों को फंसाने नियति जाल बिछाती है।

अपनी डफली अपना राग अलापते है सभी जन,
अपनी तो जनाब नक्कार खाने में तूती बजती है।

अपना नहीं है कोई गॉड फादर,ना ही कोई मसीहा,
फिर यह मायूस नजर भला क्यों किसी को ढूंढती है।

अपने नसीब के सितारे रहते है गर्दिशों में ” ए अनु”,
छोड़ दे जद्दोजहद अब ये हमें बहुत तड़पाती है।

Loading...