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31 Mar 2023 · 1 min read

■ सीधी-सपाट...

#खरी_खरी…
■ नियति और नीयत…!
“पत्थर बरसाना” किसी की “परिस्थितिजन्य मजबूरी”माना जा सकता है। मगर उन्हें “पहले से जुटा कर रखना” और कुछ नहीं,
“कुत्सित मंशा” के सिवाय। ऊपर वाला कुछ को सद्बुद्धि और बाक़ी
को विवेकपूर्ण संयम दे।।
◆हर बार, लगातार◆
😢प्रणय प्रभात😢

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