Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Mar 2023 · 4 min read

■ सामयिक सवाल…

#खरी_खोटी…
■ ये गिरोह नहीं तो फिर क्या हैं हुजूर…?
हमारे प्रदेश के यशस्वी मुखिया जी के भाषणों में एक न एक नया जुमला हर साल जुड़ जाता हैं। जो चुनावी साल में हर मंच से जोशीले स्वरों में गूंजता हैं। ऐसा ही एक जुमला है प्रदेश में कोई भी गिरोह बाकी नहीं बचने का। जो बीते सालों में पैदा हुआ और अब दौड़ रहा है। चुनावी साल में कुलांचे भरता भी दिखाई देगा। भेड़ सी मजबूर भीड़ सुनेगी और ताली ठोकेगी। पुछल्ले नारों से आसमान गुंजाएँगे और अगले ही दिन गिरोह वाले कहीं न कहीं ठहाका लगाते मिल जाएंगे। किसी न किसी नई करतूत पर।
ऐसे में कुछ सवाल लाजमी हैं और वो यह है कि यदि प्रदेश में कोई गिरोह बचा ही नहीं है तो फिर :-
(01) वो बिजली कंपनी क्या है, जिसके लठैतों की टीम लगातार चोरी और सीनाजोरी की बात को चरितार्थ करते हुए नंगई, दबंगई और गुंडई करती घूम रही है? जिन्हें धमकाने, घुड़काने और मनमाने बिल वसूलने की खुली छूट हासिल है। वो भी सिर्फ़ निरीह नागरिकों से।
(02) जब गिरोह बचा ही नहीं है तो वो झुण्ड कौन से हैं जिनके एक इशारे पर सरकारी अधिकारी ओर विभागों से लेकर छोटे-मोटे कर्मचारी संगठन अपनी जेबें ढीली कर रहे हैं और आम जनता की जेबें काटने का संरक्षण पा रहे हैं?
(03) वो शातिर कौन हैं जो गले में दुपट्टे डाल कर हर एक योजना में सेंधमारी कर ख़ज़ाने को खाली कर रहे हैं और मुफ्त की रेवड़ियों को मिल-जुल कर चर रहे हैं?
(04) वो गिरोह नहीं तो क्या हैं जो एक भी परीक्षा और भर्ती ईमानदारी से नहीं होने दे रहे और पर्चे “लीक” कर समूचे सिस्टम को “वीक” साबित कर रहे हैं? वो भी बिना किसी ख़ौफ़ धड़ल्ले से?
(05) कौन हैं वो जो मिठाई से दवाई और दारू से दूध तक मिलावट कर लोगों की ज़िंदगी से खेल रहे हैं?
(06) उन्हें गिरोह नहीं तो क्या मानें, जिनके ट्रेक्टर और डम्पर ज़मीनी खनिज तड़ी-पार ही नहीं कर रहे, विरोध करने वालों को मौत के घाट भी उतार रहे हैं। फिर चाहे वो सरकारी कारिंदे हों या आम जन।
(07) उन्हें क्या कहा जाए जो अनैतिक कृत्यों और कारोबारों को खुला संरक्षण देकर मसीहा कहला रहे हैं और रसूख के मामले में माफिया के भी बाप है?
(08) क्या वो गिरोह नहीं जो शक्तियों व अधिकारों का निरंकुशता से उपयोग कर आम जन व निरीह कर्मचारियों के हितों व अधिकारों पर अधिग्रहण के नाम से अतिक्रमण कर रहे हैं?
(09) क्या वो लफंगे और भिखमंगे गिरोह नहीं जो सूचना व शिक्षा सहित खाद्यान्न व आजीविका के अधिकार की आड़ में लूट-मार पर आमादा हैं और सियासत का लाइसेंस जेब में लिए घूम रहे हैं?
(10) उन चिंदीचोर चंदाखोरों को गिरोह नहीं तो क्या कहा जाए जो बेनागा किसी न किसी कार्यक्रम या गतिविधि की आड़ में चौथ-वसूली का सिलसिला आम बात बनाए हुए हैं और निलंबन से स्थानांतरण तक के खेल में दलाली कर रहे हैं?
उनका क्या, जो होते आ रहे हैं ठगी और लूट के शिकार….? यह वही सूबा है, जहां एक ओर न्यायिक प्रणाली के तहत बिजली उपभोक्ताओं को राहत पहुंचाने का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है वहीं दूसरी ओर उन उपभोक्ताओं को राहत की कोई उम्मीद नहीं है, जिनके साथ कंपनी-बहादुरों के कारिंदे दवाब बनाकर मनमाने तरीके से ठगी और दबंगई कर रहे हैं। वो भी मनमाने बिल थमा कर, आंकलित खपत के नाम पर चपत भरे अंदाज़ में। गौरतलब है कि विगत दो-तीन साल की अवधि में चोरों से बचने और ईमानदारों को लूटने का रास्ता अपनाने वाली कंपनी ने नगरीय क्षेत्र के संभ्रांत इलाकों में रहने वाले तमाम उपभोक्ताओं के बिलों में कथित निरीक्षण के नाम पर पुराने अधिभार जोड़ते हुए उनकी वसूली कनेक्शन विच्छेदित करते हुए दबंगता के साथ कर ली है।
विडम्बना की बात यह है कि कंपनी द्वारा मनचाहे तरीके से आंकलित की गई खपत के आधार पर देयकों का भुगतान निरंतर करने वाले उपभोक्ता भी इस ठगी का शिकार हुए हैं जिन्होने बच्चों की परीक्षा के दौर में अपने कनेक्शन कट जाने की परेशानी को भोगते हुए चोरों की श्रेणी में शामिल न होने के भय से न केवल पूरी रकम कंपनी को जमा करा दी है बल्कि घर के दरवाजे पर दल-बल के साथ आ धमकने वाले कंपनी के कारिंदों की बदसुलूकी और प्रतिष्ठा की क्षति को भी भोगा है। यहां गंभीर बात यह भी है कि हजारों रूपए की वसूली पुराने निरीक्षण और जुर्माने के नाम पर करने वाली कंपनी के अधिकारी उपभोक्ता को उनकी जानकारी और स्मरण के लिए सम्बद्ध कार्यवाही के अभिलेख तक उपलब्ध नहीं करा पाए हैं, जिनसे यह मामले उपभोक्ता अधिकारों के हनन की श्रेणी में आ रहे हैं।
ऐसे में हुजूर को गिरोह की नई परिभाषा व पहचान ज़रूर होनी चाहिए। जो गिरोह का मतलब घोड़े पर बैठकर बीहड़ों से आने वाले ढाटा-धारियों के झुंड को ही मानते हैं। उन्हें मालूम होना चाहिए कि जैसे राजा-महाराजाओं के रूप और रंग-ढंग बदले हैं, वैसे ही डकैतों के भेष और तौर-तरीकों में भी बदलाव आया है। जो अब घोड़ों पर नहीं अपनी अपनी औक़ात के अनुसार छोटी-बड़ी गाड़ियों में सवार होकर धमकते हैं। वो भी रातों को नहीं, दिन-दहाड़े, खुले आम।। जय सियाराम।।

1 Like · 389 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

तेज धूप में वो जैसे पेड़ की शीतल छाँव है,
तेज धूप में वो जैसे पेड़ की शीतल छाँव है,
Ranjeet kumar patre
झुलस
झुलस
Dr.Pratibha Prakash
युवा दिवस
युवा दिवस
Tushar Jagawat
नौ वर्ष(नव वर्ष)
नौ वर्ष(नव वर्ष)
Satish Srijan
रात
रात
पूर्वार्थ
नवरात्र के नौ दिन
नवरात्र के नौ दिन
Chitra Bisht
मेरा घर
मेरा घर
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
क्या जनता दाग धोएगी?
क्या जनता दाग धोएगी?
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
🤣🤣😂😂😀😀
🤣🤣😂😂😀😀
Dr Archana Gupta
' पंकज उधास '
' पंकज उधास '
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
Thoughts are not
Thoughts are not
DrLakshman Jha Parimal
विश्वासघात से आघात,
विश्वासघात से आघात,
लक्ष्मी सिंह
सताती दूरियाँ बिलकुल नहीं उल्फ़त हृदय से हो
सताती दूरियाँ बिलकुल नहीं उल्फ़त हृदय से हो
आर.एस. 'प्रीतम'
जुर्म तुमने किया दोषी मैं हो गया।
जुर्म तुमने किया दोषी मैं हो गया।
अश्विनी (विप्र)
हिम्मत का सफर
हिम्मत का सफर
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी "
"देश के इतिहास में"
Dr. Kishan tandon kranti
एक उम्र के बाद
एक उम्र के बाद
*प्रणय प्रभात*
दोहा- मीन-मेख
दोहा- मीन-मेख
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
राष्ट्र शांति
राष्ट्र शांति
Rambali Mishra
हिंदी दिवस
हिंदी दिवस
Harminder Kaur
दिल एक उम्मीद
दिल एक उम्मीद
Dr fauzia Naseem shad
कहने को बाकी क्या रह गया
कहने को बाकी क्या रह गया
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
🏃जवानी 🏃
🏃जवानी 🏃
Slok maurya "umang"
चलो हम सब मतदान करें
चलो हम सब मतदान करें
सोनम पुनीत दुबे "सौम्या"
4792.*पूर्णिका*
4792.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
सारी रात मैं किसी के अजब ख़यालों में गुम था,
सारी रात मैं किसी के अजब ख़यालों में गुम था,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
कुंडलिनी छंद
कुंडलिनी छंद
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
जिसे भुलाया था वर्षों पहले, वो ख्वाबों में फिर से आ रही है।
जिसे भुलाया था वर्षों पहले, वो ख्वाबों में फिर से आ रही है।
सत्य कुमार प्रेमी
रुका तू मुद्दतों के बाद मुस्कुरा के पास है
रुका तू मुद्दतों के बाद मुस्कुरा के पास है
Meenakshi Masoom
ଷଡ ରିପୁ
ଷଡ ରିପୁ
Bidyadhar Mantry
Loading...