Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Jan 2023 · 1 min read

■ नैसर्गिक विधान…

■ ध्यान रहेगा तो मान रहेगा…!
【प्रणय प्रभात】
“कबाब में हड्डी” और “दाल-भात में मूसरचन्द” जैसी कहावतें सदैव अवांछितों के लिए उपयोग होती आई हैं। एक सिक्के की तरह हर चीज़ के बस दो पहलू होते हैं। तीसरा पहलू आपने कभी नहीं सुना होगा। अलबत्ता “तीन तियाड़ा काम बिगाड़ा” ज़रूर सुना होगा। जोड़ी भी सिर्फ़ दो की होती है। जिनके बीच तीसरा केवल अप्रिय ही हो सकता है। चाहे पहले के लिए हो या फिर दूसरे के लिए। अभिप्राय मात्र इतना है कि तीसरा पक्ष बन कर दो के सह-अस्तित्व में बाधक न बनें। अन्यथा अपनी भावी नहीं अवश्यम्भावी दुर्गति के लिए कोई और नहीं आप स्वयं दोषी होंगे। ईश्वरीय व प्राकृतिक विधान का मान रखिए। युगल न बनें तो एकल रहें। मान-सम्मान बना रहेगा। जो कहना था कह दिया। आगे समझ और स्वीकार्यता आपकी अपनी।

1 Like · 400 Views

You may also like these posts

*संवेदनाओं का अन्तर्घट*
*संवेदनाओं का अन्तर्घट*
Manishi Sinha
एक ज्योति प्रेम की...
एक ज्योति प्रेम की...
Sushmita Singh
बहुत कुछ सीखना ,
बहुत कुछ सीखना ,
पं अंजू पांडेय अश्रु
वो बस सपने दिखाए जा रहे हैं।
वो बस सपने दिखाए जा रहे हैं।
सत्य कुमार प्रेमी
अनुभवों संग पक्षाघात बना वरदान
अनुभवों संग पक्षाघात बना वरदान
Sudhir srivastava
262p.पूर्णिका
262p.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
श्यामा मेरे...
श्यामा मेरे...
meenu yadav
मरीचिका सी जिन्दगी,
मरीचिका सी जिन्दगी,
sushil sarna
चल आज फिर मुझसे कुछ बात कर।
चल आज फिर मुझसे कुछ बात कर।
Jyoti Roshni
हुकुम की नई हिदायत है
हुकुम की नई हिदायत है
Ajay Mishra
डॉ भीमराव अम्बेडकर
डॉ भीमराव अम्बेडकर
नूरफातिमा खातून नूरी
भीतर का तूफान
भीतर का तूफान
Sandeep Pande
किसी के टुकड़े पर पलने से अच्छा है खुद की ठोकरें खाईं जाए।
किसी के टुकड़े पर पलने से अच्छा है खुद की ठोकरें खाईं जाए।
Rj Anand Prajapati
किसी के दिल में चाह तो ,
किसी के दिल में चाह तो ,
Manju sagar
शिक्षामित्रों पर उपकार...
शिक्षामित्रों पर उपकार...
आकाश महेशपुरी
#एक_और_बरसी...!
#एक_और_बरसी...!
*प्रणय*
कच्चे मकानों में अब भी बसती है सुकून-ए-ज़िंदगी,
कच्चे मकानों में अब भी बसती है सुकून-ए-ज़िंदगी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
लड़ाई
लड़ाई
Shashank Mishra
कविता ही तो परंम सत्य से, रूबरू हमें कराती है
कविता ही तो परंम सत्य से, रूबरू हमें कराती है
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
- तुम्हारा ख्याल हरदम रहता है -
- तुम्हारा ख्याल हरदम रहता है -
bharat gehlot
बस एक बार और………
बस एक बार और………
डॉ. दीपक बवेजा
तेवरी में गीतात्मकता +योगेन्द्र शर्मा
तेवरी में गीतात्मकता +योगेन्द्र शर्मा
कवि रमेशराज
अंतर
अंतर
Khajan Singh Nain
यूं तो हमेशा से ही
यूं तो हमेशा से ही
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
समय (कविता)
समय (कविता)
Indu Singh
खरीददार बहुत मिलेंगे
खरीददार बहुत मिलेंगे
Shekhar Deshmukh
वो दिन दूर नहीं जब दिवारों पर लिखा होगा...
वो दिन दूर नहीं जब दिवारों पर लिखा होगा...
Ranjeet kumar patre
" वो दौलत "
Dr. Kishan tandon kranti
ऐसी भी बरसात देखीं हैं
ऐसी भी बरसात देखीं हैं
Mahesh Tiwari 'Ayan'
ख्वाबों से परहेज़ है मेरा
ख्वाबों से परहेज़ है मेरा "वास्तविकता रूह को सुकून देती है"
Rahul Singh
Loading...