भोले खेल रहे हैं होली

भूत प्रेत की लेकर टोली
भोले खेल रहे हैं होली
सारे तन पर भस्म रमाए
गले सर्प माला लटकाए
करके नंदी बैल सवारी
रंग उड़ाते हैं त्रिपुरारी
खूब खाए भाग की गोली
भोले खेल रहे हैं होली
झूम-झूम कर नाच रहे हैं
लगा रंग तन जाँच रहे हैं
कौन फीका, कौन है गहरा
कौन रंग तन पे है ठहरा
गल डाले रंगों की झोली
भोले खेल रहे हैं होली
बम- बम- बम सब बोल रहे हैं
भंग दूध में घोल रहे हैं
डम- डम बजा रहे शिव डमरू
पैरों में बाँधे हैं घुँघरू
खूब कर रहे हँसी ठिठोली
भोले खेल रहे हैं होली
शिव होली का फाग गा रहे
नंदी जी ढोलक बजा रहे
नारद छेड़ रहे हैं वीणा
गौरा खिला रहीं हैं बीड़ा
हर- हर गूँज रही है बोली
भोले खेल रहे हैं होली
सबके तन उमंग है भारी
भरी रंग शिव ने पिचकारी
मलें रंग शिव गौरा प्यारी
उमा रंग डालें भंडारी
डाली रंग उमा की चोली
भोले खेल रहे हैं होली
स्वरचित रचना-राम जी तिवारी”राम”
उन्नाव (उत्तर प्रदेश)