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24 Jan 2023 · 1 min read

विष्णुपद छंद

🦚
( विष्णुपद छंद )
०००
जग को आलोकित करता पर, तम है दीप तले ।
कस्तूरी की गंध ‌मृगों‌ को, छिपकर सदा छले ।।
रश्मि बिखेरे जग में अपनी, जो शशि बना चले ।
वह पीता अँधियारे को जो, बनकर सूर्य जले ।।५
*
राधे…राधे….!
🌹
महेश जैन ‘ज्योति’,
मथुरा !
***
🔥🔥🔥
(छंद मंजूषा से)

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