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17 Feb 2023 · 2 min read

■ अद्भुत, अद्वितीय, अकल्पनीय

दुनिया का इकलौता…
■ 360 डिग्री में घूमने वाला शिवलिंग श्योपुर में
★ घूमने वाला दूसरा शिवलिंग भी शिवनगरी में ही
【प्रणय प्रभात】
एक शिवलिंग है जो पूरे 360 डिग्री वृत्त में घूमता है। यही नहीं, किसी भी दिशा में छोड़े जाने के बाद वह अपनी मूल स्थिति में भी लौट आता है। जो अपने आप में एक अद्भुत व अकल्पनीय बात है। दावा है कि ऐसा शिवलिंग दुनिया में दूसरा नहीं है। यह अलग बात है कि इस दावे को लेकर बाहरी दुनिया तो दूर स्थानीय लोगों को भी बहुत जानकारी नहीं है। जिसे एक दुर्भाग्यपूर्ण विडम्बना भी माना जा सकता है। इससे भी अधिक रोचक बात यह है कि आधी-अधूरी जानकारी आलेख के रूप में प्रकाशित होकर चर्चाओं में आने के बाद भी यह चमत्कारी धरोहर सुर्खियों से परे बनी हुई है।
उक्त शिवलिंग भगवान शिव की नगरी श्योपुर में है। जो भारत के हृदय मध्यप्रदेश का एक सीमावर्ती ज़िला है। जी हां, वही श्योपुर, जहां विकसित कूनो नेशनल पार्क में नामीबियाई चीते संरक्षित किए गए हैं। जिन्हें बीते साल 17 सितंबर को प्रधानमंत्री ने स्वयं पिंजरों से बाड़े में छोड़ा था। इसी श्योपुर के छत्री टीला (छारबाग) में सिंधी-पंजाबी समाज का एक गुरुद्वारा है। जिसके एक हिस्से में प्राचीन शिवालय है। जो पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित है। ऊंचाई पर बने छत्रीनुमा शिवालय में है उक्त शिवलिंग। जिसे श्री गोविंदेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है। इसे 360 डिग्री पर घूमने वाले शिवलिंग के रूप में दुनिया का एकमात्र शिवलिंग माना जाता है। घूमने के बाद स्वयं यथास्थिति में लौटने का दावा यदि सच है तो यह गहन शोध का विषय है।
सिंधी-पंजाबी समाज के गुरुद्वारा परिसर में स्थित प्राचीन शिवालय में विराजित शिवलिंग के नाम को लेकर यह धारणा है कि इसकी स्थापना दशमेश गुरु श्री गोविंद सिंह जी के काल में हुई होगी। जिसकी पुष्टि इतिहासकार या पुरातत्व-वेत्ता ही कर सकते हैं। विशेष बात यह है कि वृत्ताकार में घूमने वाला ऐसा ही एक दूसरा शिवलिंग भी शिवनगरी श्योपुर में ही है। जो ऐतिहासिक किला क्षेत्र में अतिशय जैन मंदिर के आगे स्थित है। जिसे श्री कलीशंकर या कालीशंकर महादेव के नाम से जाना जाता है। यह और बात है कि चर्चा में आने के कुछ ही समय बाद उक्त शिवालय भी भक्तों की सहज पहुंच और चर्चाओं से दूर हो गया। जिसके पीछे के कारण अलग से शोध का विषय हो सकते हैं। इस शिवालय को 1990 के दशक में कुछ भक्तजनों ने खोज कर सुर्खियों में लाने का काम किया था। आस्था को तर्क या परीक्षण का विषय नहीं बनाते हुए इसे भी भक्तों की पहुंच में लाया जाना आवश्यक है। अब प्रयास होना चाहिए कि इस शिवलिंग का सत्य भी अन्वेषित व उद्घोषित हो।
भक्तजन व जानकार इस बारे में अपना मत प्रकट करें ताकि नगरी के धार्मिक वैभव को विश्व-पटल पर नए आयाम मिलें।
हर-हर महादेव।।
श्री शिवाय नमस्तुभ्यं।

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