Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Jan 2023 · 10 min read

*युगपुरुष राम भरोसे लाल (नाटक)*

युगपुरुष राम भरोसे लाल (नाटक)
■■■■■■■■■■■
पात्र परिचय

रामभरोसे लाल : रामपुर रियासत की विधानसभा के सदस्य
नवाब रजा अली खाँ : रामपुर के शासक
कर्नल बशीर हुसैन जैदी: रियासत रामपुर के प्रधानमंत्री
आचार्य जुगल किशोर: उत्तर प्रदेश कांग्रेस के दिग्गज नेता
नंदन प्रसाद : स्वतंत्रता सेनानी तथा रियासत की विधानसभा के सदस्य
असलम खाँ एडवोकेट : रामपुर रियासत की विधानसभा के अध्यक्ष( स्पीकर)
विधानसभा के कुछ सदस्य तथा विधानसभा के बाहर के राम भरोसे लाल जी के कुछ साथी
काल : अगस्त 1948
स्थान : प्रमुखता से दरबार हाल,हामिद मंजिल, रामपुर रियासत

पार्श्व में स्वर गूँजता है :-

“रामपुर रियासत उत्तर प्रदेश की एक छोटी-सी रियासत है। देश की 500 से ज्यादा रियासतों में से एक यहाँ के शासक नवाब रजा अली खाँ ने सबसे पहले आगे बढ़कर आजादी के समय अपनी रियासत का विलय भारत के साथ किया था । लेकिन 1948 में अब परिस्थितियाँ बदल रही हैं । शासक अपनी रियासत को बचाना चाहते हैं । इसके लिए 1948 में रियासत के भीतर विधानसभा का गठन हुआ । चुनाव कराए गए । लेकिन नेशनल कान्फ्रेंस ने चुनावों का बहिष्कार किया। ऐसे में विधानसभा की संरचना को अधूरा समझते हुए उसमें नेशनल कॉन्फ्रेंस के सदस्य राजशाही की तरफ से मनोनीत किए गए । राम भरोसे लाल उनमें से एक हैं । आज 16 अगस्त 1948 है। विधान सभा के सदस्यों को शपथ दिलाई जा चुकी है। नेशनल कांफ्रेंस के विधानसभा सदस्य एक मीटिंग कर रहे हैं। सब सदस्य उपस्थित हैं ।”

राम भरोसे लाल : यह क्या मजाक हमारे साथ किया जा रहा है ? क्या रामपुर रियासत का संपूर्ण विलीनीकरण भारत में नहीं होगा ? यानी रियासत बनी रहेगी ? हम यह कैसे स्वीकार कर सकते हैं ?

एक सदस्य : रामपुर रियासत बनी रहने में हर्ज ही क्या है ? आखिर यह हमारी रियासत है और इसे बना रहना चाहिए ।

दूसरा सदस्य : मैं रामपुर रियासत के स्वतंत्र स्वरूप को बनाए रखने का समर्थन करता हूँ। इसी में हमारी रियासत का भी हित है और जनता का हित भी है।

तीसरा सदस्य : हमें रियासत के स्वतंत्र स्वरूप को बनाए रखने के समर्थन में वोट देना चाहिए ।

राम भरोसे लाल : इतना महत्वपूर्ण विषय और आप लोग चाहते हैं कि हम बिना विचार किए इस पर निर्णय ले लें। कल इस प्रस्ताव पर मतदान होना है और आज हमारे सामने यह विचार के लिए उपस्थित हुआ है। यह तो जबरदस्ती हमारे गले में शब्द डाले जा रहे हैं ।

चौथा सदस्य : तो फिर आप क्या चाहते हैं ?

राम भरोसे लाल : मैं चाहता हूँ कि विधानसभा में इस प्रस्ताव का पूरी ताकत के साथ विरोध होना चाहिए । हमने नेशनल कांफ्रेंस के माध्यम से रामपुर रियासत में आजादी की दोहरी लड़ाई लड़ी है । हमें अंग्रेजों को इस देश से बाहर निकालने में सफलता मिल चुकी है लेकिन अभी पूर्ण स्वतंत्रता अधूरी है । नवाबी शासन में राजा और प्रजा का संबंध होगा ,जिसे लोकतांत्रिक नहीं कहा जा सकता । हमें रियासत का शाही स्वरूप बनाए रखने के खिलाफ विधानसभा में खड़े होना चाहिए ।

एक अन्य सदस्य : आपका सोच ठीक नहीं जान पड़ता । मेरे ख्याल से इस मीटिंग में कोई भी आपका समर्थक मौजूद नहीं है।

नंदन प्रसाद : राम भरोसे लाल जी ठीक कह रहे हैं । हम लोग कांग्रेस के सच्चे सिपाही रहे हैं । हमने आजादी की लड़ाई लड़ी है । देश को आजाद कराया भी है और अब इस मोड़ पर हम राजशाही को बनाए रखकर आजादी की संरचना को आधा-अधूरा नहीं छोड़ सकते । मैं राम भरोसे लाल जी के साथ हूँ। उनका विचार सही है। रियासत का स्वतंत्र स्वरूप बनाए रखना और राजशाही कायम रखना गलत होगा।

राम भरोसे लाल : भाई नंदन प्रसाद जी ! मुझे आपसे इसी समर्थन की आशा थी। आप तो आजादी के लिए अग्रणी रहे हैं। मुझे याद है वह दिन जब पुस्तकालय में आपका और सतीश चंद्र गुप्त जी का स्वतंत्रता के लिए जेल-यात्रा के पश्चात अभिनंदन हुआ था । उसी भावना के साथ आज मैं और आप एक साथ खड़े हैं ।

अन्य सदस्य : कल बड़ी महत्वपूर्ण मीटिंग विधानसभा की होगी । पहली मीटिंग है । पहली बार विचार-विमर्श है और आपको उसमें बोलना भी तय किया गया है।
राम भरोसे लाल जी ! आप रामपुर की जनता और यहां की रियासत की विशिष्टता को ध्यान में रखकर ही बोलेंगे ?

राम भरोसे लाल : रामपुर की जनता भारत की आजादी चाहती है और इस रियासत की विशिष्टता भी भारत की आजादी में ही निहित है । रियासत के स्वतंत्र स्वरूप को बनाए रखने का विरोध करके हम देश की आजादी के प्रति अपनी जिम्मेदारी का ही निर्वहन करेंगे।

(मीटिंग इसके बाद समाप्त हो जाती है । सब सदस्य उठ खड़े होते हैं और कुछ देर एक दूसरे से कान में गुपचुप बहुत सी बातें करने लगते हैं।)

★★★★★
दृश्य 2
★★★★★

पार्श्व में स्वर गूँजता है :

“मीटिंग के बाद रामपुर रियासत के प्रधानमंत्री कर्नल बशीर हुसैन जैदी के साथ राम भरोसे लाल तथा अन्य विधानसभा सदस्य बैठकर बातचीत कर रहे हैं । कर्नल बशीर हुसैन जैदी राम भरोसे लाल जी को समझाते हैं ।

कर्नल बशीर हुसैन जैदी : रियासत को बनाए रखने का प्रस्ताव रामपुर के फायदे के लिए है । इसी में नवाब साहब के नेतृत्व में रियासत की प्रगति निहित है।

राम भरोसे लाल : मुझे इसमें संदेह है। आजादी के बाद रियासतों का पूरी तरह खत्म होना लोकतंत्र की दृष्टि से बहुत जरूरी है । इसलिए हमें इस प्रकार के प्रस्ताव का विरोध करना ही पड़ेगा ।

कर्नल बशीर हुसैन जैदी : आप फिर से सोचिए और जो प्रस्ताव आपके सामने विचार के लिए रखा गया है ,उसके फायदे महसूस करिए ।

राम भरोसे लाल : मुझे नहीं लगता कि इसमें कोई फायदा जनता या लोकतंत्र का होगा । इसमें भारत का नुकसान ही नुकसान है । मैं इस प्रस्ताव का विरोध जरूर करूँगा।

कर्नल बशीर हुसैन जैदी : सब लोग प्रस्ताव के समर्थन में विश्वास करते हैं । मैं आपके ऊपर जोर नहीं डाल सकता । आप को जो उचित लगे ,वैसा करिए । प्रस्ताव रामपुर के हित में है । हमारी रियासत अगर बच जाती है ,तो इससे ज्यादा खुशी की बात दूसरी नहीं होगी । हम भारत के साथ तो पहले से ही जुड़ चुके हैं । उसमें तो कोई शक की बात बिल्कुल भी नहीं है ।

राम भरोसे लाल : मैंने अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है ।

कर्नल बशीर हुसैन जैदी : ठीक है ,मैं चलता हूँ। आपको जैसा सही लगे ,वैसा करिए।

( कर्नल बशीर हुसैन जैदी चले जाते हैं।)

★★★★★★
दृश्य 3
★★★★★★

पार्श्व में स्वर गूँजता है :

” मुरादाबाद में उत्तर प्रदेश कांग्रेस के दिग्गज नेता आचार्य जुगल किशोर से मिलने के बाद राम भरोसे लाल तथा उनके कुछ साथी बाहर आ रहे हैं । यह विधायक नहीं थे। राम भरोसे लाल प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों से कहते हैं कि आचार्य जुगल किशोर जी कोई स्पष्ट मार्गदर्शन नहीं दे पाए।”

अन्य साथी : वह कैसे दे पाते ? आप ही सोचिए ? उनकी स्थिति तो अधर में लटकी हुई हो गयी है। किस की-सी कहें ?

राम भरोसे लाल : आपने सही कहा । हमने इतनी देर तक आचार्य जी से बात की लेकिन वह खुलकर कुछ भी नहीं कह पा रहे थे । रियासत को बनाए रखने का समर्थन उनका हृदय नहीं कर रहा था । एक बार भी उन्होंने हमसे यह नहीं कहा कि आप रियासत को बनाए रखने के पक्ष में आवाज उठाएं । लेकिन हम उनकी मजबूरी समझ रहे हैं । वह पार्टी के निर्णय के खिलाफ जाकर कुछ कह भी तो नहीं पा रहे हैं । उनके सामने पार्टी का अनुशासन है ।

अन्य साथी : अब जब हमें पार्टी हाईकमान से कोई स्पष्ट निर्देश नहीं मिल पा रहा है तब ऐसे में क्या करना चाहिए ?

रामभरोसे लाल : हमें अपनी अंतरात्मा की आवाज सुननी होगी । उसी भावना से निर्णय लेना होगा ,जिस भावना से हम आज तक आजादी की लड़ाई लड़ते रहे हैं । कितना बड़ा त्याग हमारे साथियों ने किया था । आपको तो मालूम है कि ओमकार शरण विद्यार्थी को इनकम टैक्स ऑफिसर की नौकरी रियासत में दी जा रही थी मगर उन्होंने उसे सिर्फ इसलिए ठुकरा दिया था कि इस रियासत में भी आजादी आनी चाहिए ।

अन्य साथी : इस प्रकार का त्याग सचमुच बहुत बड़ा था । आपको इस की रोशनी में ही कोई निर्णय लेना चाहिए ।

राम भरोसे लाल : मेरा दिल तो यही कह रहा है कि हमें रामपुर रियासत को बनाए रखने के प्रस्ताव का विरोध करना चाहिए । यही संपूर्ण स्वाधीनता की दिशा में उठाया गया हमारा कदम होगा ।

अन्य साथी : इस प्रकार का जो विचार हम लोग कर रहे हैं उसको प्रोफेसर साहब का भी पूरा समर्थन मिलेगा ।

राम भरोसे लाल : प्रोफ़ेसर मुकुट बिहारी लाल जी तो हमेशा से ही राजशाही के बनाए रखने के विरुद्ध हैं । उनसे बड़ा लोकतंत्रवादी रामपुर में भला कौन होगा ? जिस क्षण हम रामपुर रियासत के भारतीय संघ में संपूर्ण विलय न होने देने के प्रस्ताव के खिलाफ अपनी आवाज उठाएंगे ,तब हमें न जाने कितने ही महापुरुषों का आशीष मिल जाएगा ।

अन्य साथी : अब सब कुछ आपके हाथ में है । विधानसभा में आपको ही बोलना है।

★★★★★★
दृश्य 4
★★★★★★

पार्श्व में स्वर गूँजता है

” आज 17 अगस्त 1948 को रामपुर रियासत के ऐतिहासिक हामिद मंजिल के दरबार हाल में रियासती विधानसभा की पहली बैठक हो रही है । सुबह के ग्यारह बजे हैं । नवाब रजा अली खाँ ने विधानसभा का उद्घाटन किया है । आइए सुनते हैं नवाब साहब का ऐतिहासिक भाषण ”

नवाब साहब : 17 अगस्त के दिन को हम और आने वाली नस्लें रामपुर के इतिहास में यादगार दिन ख्याल करेंगी कि उस दिन रामपुर की प्रजा को अपने शासक के नेतृत्व में रियासत के भविष्य की जिम्मेदारी सौंपी गई । आज प्रजा पूर्ण उत्तरदाई शासन के आलीशान महल के द्वार में दाखिल हुई है।

पार्श्व में स्वर गूँजता है :

“अभी-अभी रामपुर के शासक नवाब रजा अली खाँ ने अपना भाषण दिया । इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष श्री असलम खाँ एडवोकेट ने भारत के प्रधानमंत्री श्री जवाहरलाल नेहरू ,गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल आदि के संदेश पढ़कर सुनाए ।.. और अब नवाब साहब दरबार हाल ,हामिद मंजिल से उठकर जा रहे हैं।… नवाब साहब विधान सभा की बैठक से चले गए हैं और अब रियासती विधानसभा में शिक्षा मंत्री द्वारा यह प्रस्ताव पेश किया जा रहा है” :-

शिक्षा मंत्री : विधानसभा के सदस्य अपने और रामपुर की प्रजा की ओर से यह अभिलाषा व्यक्त करते हैं कि हम अपने प्रगतिशील तथा जनतंत्र के पोषक रियासत के स्वामी की छत्रछाया और संरक्षकता में जिनकी देशभक्ति और राजनीतिक कौशल की हमें हृदय से सराहना है कि उन्होंने सब रियासतों से पहले भारतीय संघ में मिलकर हमारा सही नेतृत्व किया और बाकी रियासतों के लिए एक बेहतरीन मिसाल कायम की , हम भारतीय संघ की सरकार के समर्थन के साथ-साथ अपनी रियासत को कायम और बरकरार रख सकें और इसके लिए हमें किसी बलिदान की जरूरत हो तो हम ऐलान करते हैं कि हम उस बलिदान के लिए तैयार हैं ।

पार्श्व में स्वर गूँजता है :-

” रियासत के स्वतंत्र स्वरूप को बनाए रखने के लिए समर्थन में मौलवी अजीज अहमद खाँ और श्री जमुनादीन ने अपना भाषण दिया और अब श्री राम भरोसे लाल को विचार व्यक्त करने के लिए आमंत्रित किया जा रहा है । श्री राम भरोसे लाल अपने स्थान से उठकर खड़े होते हैं और बोलना शुरू करते हैं” :-

राम भरोसे लाल : मैं इस प्रस्ताव का विरोध करता हूँ। यह प्रस्ताव जनहित में नहीं है। देश की राजनीतिक स्थिति और समय की माँग के विपरीत यह प्रस्ताव कागज का टुकड़ा मात्र है।

पार्श्व में स्वर गूँजता है:

【दरबार हाल में लोगों की फुसफुसाहट से व्यवधान पैदा हो जाता है। विधानसभा अध्यक्ष स्पीकर श्री असलम खाँ एडवोकेट सब को शांत रहने के लिए कहते हैं । 】

राम भरोसे लाल : जब हमने देश को अंग्रेजों से आजाद करा लिया है और अब सारे भारत में जनतंत्र का उदय हो चुका है, तब रियासतों और राजा-महाराजाओं को बनाए रखने का कोई औचित्य नहीं है। देश की जनता रोजी-रोटी के सवाल से जूझ रही है । एक व्यक्ति ,एक वोट के आधार पर देश में नई लोकतांत्रिक शासन पद्धति हम कायम करने जा रहे हैं और हम इस नियति से पीछे नहीं हट सकते । मैं इस प्रस्ताव का पूरी ताकत के साथ विरोध करता हूँ । मेरी अंतरात्मा मुझे जो दायित्व सौंप रही है ,मैं उसका पालन अवश्य करूंगा। रियासत और राजशाही की समाप्ति देश की पूर्ण स्वाधीनता के लिए जरूरी है ।

स्पीकर (विधानसभा अध्यक्ष) असलम खां एडवोकेट : आप विषय से हट रहे हैं ।

राम भरोसे लाल : मैं विषय के विरोध में अपना विचार व्यक्त कर रहा हूँ। इस विधानसभा के बाहर मौजूद हमारे तमाम साथियों की जो राय है, मैं उसी का प्रतिनिधित्व कर रहा हूँ।आज इस ऐतिहासिक प्रस्ताव के प्रति अपना दृष्टिकोण रखना मेरा दायित्व है । अगर मैंने साहस पूर्वक इस प्रस्ताव का विरोध नहीं किया तो यह देश हमें कभी क्षमा नहीं करेगा।

पार्श्व में स्वर गूँजता है:

“विधानसभा की कार्यवाही की समाप्ति के बाद राम भरोसे लाल दरबार हाल ,हामिद मंजिल की सीढ़ियों से उतर कर जब सड़क पर चलते हैं तो जनतांत्रिक विचारों से ओतप्रोत अपार जनसमूह उन्हें बधाई और शुभकामनाएँ देता है । दरअसल विधानसभा के बाहर के तमाम साथियों के साथ बैठकर राम भरोसे लाल जी ने यह निर्णय किया था कि उन्हें प्रस्ताव का विरोध अवश्य करना है। सुनिए ,राम भरोसे लाल जी अपने एक समर्थक से क्या कहते हैं”

रामभरोसे लाल : ईश्वर का धन्यवाद जो उसने मुझे हामिद मंजिल के दरबार हाल में खड़े होकर रामपुर रियासत के पूर्ण विलीनीकरण के लिए आवाज उठाने की शक्ति दी और मैं प्रस्ताव का विरोध कर पाया।

( नारे लगते हैं :
बधाई रामभरोसे लाल जी
जिंदाबाद रामभरोसे लाल जी )
■■■■■■■■■■■■■■■■■■
लेखक : रवि प्रकाश
पिता का नाम : श्री राम प्रकाश सर्राफ
पता : रवि प्रकाश पुत्र श्री राम प्रकाश सर्राफ
बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज)
रामपुर (उत्तर प्रदेश) 244901
मोबाइल 99976 15451
जन्म तिथि : 4 अक्टूबर 1960
शिक्षा : बी.एससी.( राजकीय रजा स्नातकोत्तर महाविद्यालय, रामपुर)
एलएल.बी.( बनारस हिंदू विश्वविद्यालय)
संप्रति : स्वतंत्र लेखन

351 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all

You may also like these posts

प्यास की आश
प्यास की आश
Gajanand Digoniya jigyasu
■निरुत्तर प्रदेश में■
■निरुत्तर प्रदेश में■
*प्रणय प्रभात*
पहला प्यार
पहला प्यार
Shekhar Chandra Mitra
#ਹੁਣ ਦੁਨੀਆ 'ਚ ਕੀ ਰੱਖਿਐ
#ਹੁਣ ਦੁਨੀਆ 'ਚ ਕੀ ਰੱਖਿਐ
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
सपने
सपने
surenderpal vaidya
अकेलापन
अकेलापन
Mansi Kadam
Pilgrimage
Pilgrimage
Meenakshi Madhur
काम रहेगें जब तक जग में, होगे ही रे पाप।
काम रहेगें जब तक जग में, होगे ही रे पाप।
संजय निराला
सिलसिला शायरी से
सिलसिला शायरी से
हिमांशु Kulshrestha
है हर इक ख्वाब वाबस्ता उसी से,
है हर इक ख्वाब वाबस्ता उसी से,
Kalamkash
बुलंदियों की हदों का भी मुख़्तसर सफर होगा।
बुलंदियों की हदों का भी मुख़्तसर सफर होगा।
Dr fauzia Naseem shad
शराब की दुकान(व्यंग्यात्मक)
शराब की दुकान(व्यंग्यात्मक)
उमा झा
बूढ़ी मां
बूढ़ी मां
Sûrëkhâ
दुर्योधन की पीड़ा
दुर्योधन की पीड़ा
Paras Nath Jha
ये तो जोशे जुनूँ है परवाने का जो फ़ना हो जाए ,
ये तो जोशे जुनूँ है परवाने का जो फ़ना हो जाए ,
Shyam Sundar Subramanian
सोशल मीडिया बड़ी बीमारी रचनाकार अरविंद भारद्वाज
सोशल मीडिया बड़ी बीमारी रचनाकार अरविंद भारद्वाज
अरविंद भारद्वाज
अनोखा देश है मेरा ,    अनोखी रीत है इसकी।
अनोखा देश है मेरा , अनोखी रीत है इसकी।
डॉ.सीमा अग्रवाल
"अगर"
Dr. Kishan tandon kranti
*उत्साह जरूरी जीवन में, ऊर्जा नित मन में भरी रहे (राधेश्यामी
*उत्साह जरूरी जीवन में, ऊर्जा नित मन में भरी रहे (राधेश्यामी
Ravi Prakash
मेरे चेहरे से ना लगा मेरी उम्र का तकाज़ा,
मेरे चेहरे से ना लगा मेरी उम्र का तकाज़ा,
Ravi Betulwala
love or romamce is all about now  a days is only physical in
love or romamce is all about now a days is only physical in
पूर्वार्थ
माँ।
माँ।
Dr Archana Gupta
पुष्प
पुष्प
इंजी. संजय श्रीवास्तव
प्रेम छिपाये ना छिपे
प्रेम छिपाये ना छिपे
शेखर सिंह
4266.💐 *पूर्णिका* 💐
4266.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
आओ बौंड बौंड खेलें!
आओ बौंड बौंड खेलें!
Jaikrishan Uniyal
मन ,मौसम, मंजर,ये तीनों
मन ,मौसम, मंजर,ये तीनों
Shweta Soni
आग और पानी 🔥🌳
आग और पानी 🔥🌳
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
"बेटी की ईच्छा"
ओसमणी साहू 'ओश'
गीत पिरोते जाते हैं
गीत पिरोते जाते हैं
दीपक झा रुद्रा
Loading...