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1 Jan 2023 · 1 min read

वक़्त की गिनती

वक़्त बस गिनती है,
चलती रही है चलती रहेगी।
छोटे बच्चे सी छुप छुपकर
जिंदगी यहाँ वहां पर मिलती रहेगी।
गले लगाओगे अपनी औलाद सा, या दुत्कारोगे ये तुम पर
ये तो दादी के हाथों सी बेशर्त मिलती रहेगी।
वक़्त के सहारे हो आप, या आप वक़्त के सहारे
ये देखने की नज़र, बदलती रहेगी।

“तो गिनना छोड़ो, जीना शुरू करो”
शुभ नववर्ष 2023
स्वरचित रचना
प्रवीण शर्मा

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