Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Nov 2022 · 6 min read

*बहुत याद आएंगे श्री शौकत अली खाँ एडवोकेट*

बहुत याद आएंगे श्री शौकत अली खाँ एडवोकेट
■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■
श्री शौकत अली खाँ एडवोकेट नहीं रहे । 22 नवंबर 2021 को उन्होंने आखिरी सांस ली । रामपुर में शायद ही कोई दूसरा व्यक्ति हो ,जो बहुमुखी प्रतिभा की दृष्टि से उनका मुकाबला कर सके । वह बेजोड़ वक्ता थे । भाषा पर उनका असाधारण अधिकार था । हिंदी और उर्दू दोनों के माहिर थे । एक चिंतक के रूप में विचारों को सारगर्भित रूप से प्रस्तुत करने में जहाँ उनको महारत हासिल थी ,वहीं वह विस्तार से किसी भी विषय को नए-नए आयाम देने में समर्थ थे । वकालत के पेशे में उन्होंने बहुत ऊँचा स्थान बनाया था ।
उनकी सबसे बड़ी खूबी एक लेखक के रूप में तब सामने आई ,जब उन्होंने रामपुर का इतिहास नामक पुस्तक लिखी और उसे रामपुर रजा लाइब्रेरी ने प्रकाशित किया। इस पुस्तक में नवाब रजा अली खाँ के 1930 में सत्तारूढ़ होने से लेकर रियासत के भारतीय संघ में विलीन होने तक की घटनाओं को विस्तार से दर्ज किया गया था। यह एक प्रामाणिक ऐतिहासिक दस्तावेज बन चुका है और रामपुर के इतिहास के इस कालखंड पर शोध करने के लिए किसी भी पाठक को श्री शौकत अली खां की इस पुस्तक को पढ़ना अनिवार्य है । सैकड़ों की संख्या में उद्धरण इस पुस्तक को मूल्यवान बनाते हैं । जब मैंने इस पुस्तक के बारे में सुना तब रामपुर रजा लाइब्रेरी से इस किताब को खरीदा ,पढ़ा और उसकी प्रशंसा की। आपकी पुस्तक से मेरी आत्मीयता इसलिए भी तुरंत स्थापित हो गई क्योंकि उसमें अनेक अध्यायों में मेरी 1986 में प्रकाशित पुस्तक रामपुर के रत्न के उदाहरण एक दर्जन से अधिक स्थानों पर दिए गए थे । इस तरह श्री शौकत अली खाँ से मेरा संपर्क और भी बढ़ने लगा । कई बार वह मेरी दुकान पर आ जाते थे और थोड़ी देर बातें करते थे । मित्रता तो मैं नहीं कह सकता क्यों कि मैं उनसे चौदह साल छोटा था । लेकिन हाँ ! 11 जून 1946 को जन्मे वह एक छोटे भाई की तरह मुझसे स्नेह करते थे । मैं उनसे कहता था कि जो रामपुर का इतिहास आपने लिखा है वह कई पीएच.डी. की शोध प्रबंध के बराबर है और वह न केवल मुस्कुराते थे बल्कि मेरी बात का समर्थन करते थे । वास्तव में जितना परिश्रम उन्होंने पुस्तक के लेखन के लिए किया होगा ,उसकी केवल कल्पना ही की जा सकती है।
●●●●●
अधूरी रह गई आत्मकथा
●●●●●
इधर आकर वह अपनी आत्मकथा अथवा संस्मरण लिख रहे थे । हमने उन्हें अनेक बार राजकली देवी शैक्षिक पुस्तकालय( टैगोर शिशु निकेतन ) के कार्यक्रमों में मंच पर आसीन करके समारोह का गौरव बढ़ाया था । उन्होंने एक दिन दुकान पर आकर मुझसे कहा कि अगर कुछ फोटो आपके पास हों तो मुझे दे दीजिए, किताब छपवा रहा हँ। उसमें काम आएंगे। मैंने तुरंत बैठे-बैठे उनका मोबाइल नंबर अपनी कांटेक्ट लिस्ट में लिया तथा व्हाट्सएप पर जो आठ-दस फोटो मेरे पास थे ,तुरंत भेज दिए । वह फोटो देख कर बहुत खुश हुए । इनमें से एक फोटो श्री महेश राही को रामपुर का इतिहास पुस्तक भेंट करते हुए था । एक फोटो श्री महेश राही को रामप्रकाश सर्राफ लोक शिक्षा पुरस्कार प्रदान करते समय का था । एक फोटो विचार गोष्ठी का था । एक फोटो जाति मुक्ति भाषण प्रतियोगिता का था । इन सब में उनकी गरिमामय उपस्थिति अपनी ओजस्विता की कहानी स्वयं कह रही थी ।श्री शौकत अली खाँ का जीवन ऊँचे दर्जे की सामाजिकता तथा क्रांतिकारी चेतना से ओतप्रोत था।
ज्ञान मंदिर पुस्तकालय में एक समारोह में उन्होंने भाषण देते हुए बताया था कि हिंदी के लिए आंदोलन करते हुए जेल जाने वाला मैं रामपुर का पहला व्यक्ति हूँ। जिस गर्व से उन्होंने यह बात कही थी उससे हिंदी के प्रति उनकी आत्मीयता प्रकट हो रही थी। उर्दू के प्रचार ,प्रसार और उन्नयन के लिए भी वह सचेष्ट रहे।
इधर आकर मेरा उनका संपर्क व्हाट्सएप के माध्यम से भी खूब चला । वह अपनी पसंद का किसी उर्दू शायर का लिखा हुआ शेर मुझे भेजते थे और मैं यदा-कदा अपनी कोई कुंडलिया उन्हें व्हाट्सएप पर प्रेषित कर देता था । उनका न रहना न केवल रामपुर के साहित्यक और वैचारिक जगत की एक भारी क्षति है बल्कि मेरे लिए एक व्यक्तिगत नुकसान भी है । वह शरीर से तो नहीं रहे लेकिन रामपुर का इतिहास पुस्तक के रूप में सदियों तक जीवित रहेंगे ।
■●●
व्हाट्सएप पर संवाद
●●●●●●
व्हाट्सएप पर अनेक बार आपने मुझे अपनी पसंद के सुंदर शेर पढ़ने के लिए भेजे। मैंने उन्हें पढ़ा और आपकी चयन-दृष्टि की प्रशंसा की।
————————
22 मई 2021 को आपके द्वारा प्रेषित एक शेर:-
स्याह रात नाम नही लेती ढलने का———
यही तो वक्त है सूरज तेरे निकलने का ।
(शहर यार)
———————–
24 मई 2021 को आपके द्वारा प्रेषित एक शेर:-
उस ने दीवार पर मिट्टी का दिया क्या रखा ——
रौशनी मुझ को बुलाने मेरे घर तक आई ।
(सईद केस)
———————–
29 मई 2021 को आपके द्वारा प्रेषित एक शेर:-
भीढ ने यूं ही रहबर लिया मान है वर्ना
अपने अलावा किस को घर पहुंचाया हमने ।
(शारिक़ आज़मी)
मैंने शेर की प्रशंसा की किंतु “भीढ” शब्द को संशोधित करके “भीड़” लिखा । आपने जवाब में “ओके सर” लिखकर मेरा संशोधन स्वीकार किया तथा संशोधित शेर प्रेषित कर दिया । मैंने कहा आप मुझे सर न कहें। मैं आयु और योग्यता दोनों में आपसे बहुत छोटा हूँ।
———————
2 जुलाई 2021 को आपके द्वारा प्रेषित एक शेर। उन्हें मालूम था कि मुझे कुछ शब्दों के अर्थ समझने में कठिनाई आ सकती है अतः उन्होंने उसका अर्थ साथ में लिख दिया था।
इश्क़ वह इल्म ए रियाज़ी* है जिस में फ़ारिस—–
दो से जब एक निकालें तो सिफ़र बचता है ।
(रहमान फ़ारिस)
*गणित
———————–
3 जुलाई 2021 को प्रेषित आपका एक शेर:-
सांप आते हैं मुझे डस के चले जाते हैं
मेरे अन्दर है कहीं दफ़्न ख़ज़ाना मेरा !
(अब्बास ताबिश)
———————–
17 जुलाई 2021 को आपका प्रेषित एक शेर
जाने कितनी उम्र कटेगी इस नादानी मे ।अपने अक्स को ढूंढ रहा हूं खौलते पानी मे ।
(क़तील शिफ़ाई)
———————-
24 मई 2021 को मैंने आपको एक कुंडलिया लिखकर भेजी, जिस पर आपने अगले दिन अति सुंदर टिप्पणी अंकित करके मुझे सौभाग्यशाली बना दिया। कुंडलिया इस प्रकार है:-
————–
समय का चक्र (कुंडलिया)
————-
चलता रहता चक्र है ,शीत ऊष्म बरसात
कभी धूप सूरज दिखा ,कभी चाँदनी रात
कभी चाँदनी रात ,नित्य हैं सुख-दुख आते
होते कभी अमीर , कभी निर्धन हो जाते
कहते रवि कविराय ,कभी सुखदाई-खलता
सहो समय का चक्र ,निरंतर जग में चलता
“””””””””””””””‘””’
ऊष्म = गर्मी ,ग्रीष्म ऋतु
“”””””””””””””””””””””””””””””””
श्री आंजनेय कुमार से भेंट वार्ता
●●●●●●●●●●●●
5 मार्च 2021 को आपने एक व्यक्तिगत गतिविधि से संबंधित सुंदर टिप्पणी मुझे प्रेषित की । यह आपकी रामपुर के अत्यंत ऊर्जावान जिलाधिकारी श्री आंजनेय कुमार के आयुक्त मुरादाबाद होकर स्थानांतरित होने के संबंध में थी। आपने अपनी मुलाकात को जिन प्रभावशाली शब्दों और शैली के साथ अभिव्यक्त किया उससे आपकी उच्च कोटि की लेखकीय क्षमता उजागर होती है । मेरे ख्याल से यह भेंटवार्ता आपके संस्मरण अथवा आत्मकथा का एक अंश रही होगी ।
*** :- “आज रामपुर के स्थानांतरित डी. एम. माननीय आन्जनेय कुमार जी से विदाई भेंट हुई ।एकदम हृदयस्पर्शी, खुले मन से, खुली आँखों से, संघर्षों और सपनों व मानवीय संवेदनाओं के बारे में, रामपुर के सेवाकाल, रामपुर के विकास ,रज़ा लाइब्रेरी तथा भविष्य में रामपुर से संबंधो के बारे में ।उन्हें अफ़सोस रहा कि वह रामपुर के कला-कौशल को जितना विकसित करना और उसे उन्रति पर ले जाना चाहते थे, उसका मात्र दस %ही हो सका,करोना काल ने गति रोक दी । रामपुर का शानदार आर्थिक व घरेलू लघु विकास उनका सपना था ।भविष्य में भी वह इस के प्रति जागरूक रहेंगे। उन्होंने कहा कि मै रज़ा लाइब्रेरी का डायरेक्टर हूँ। अतीत के गौरव को बनाए रखना मेरी प्राथमिकता रहेगी । तबादले से मेरा रामपुरी सम्बन्ध समाप्त नही होगा । उनकी जनता और दायित्व के प्रति मज़बूत इच्छाशक्ति और संकल्प व साफ़गोई उनके चेहरे से स्पष्ट थी ।जैसे कह रहे हों जो मेरे शब्द हैं वही मेरा अर्थ है ।चालीस मिनट की योग-श्रंखला अदभुत रही।”
——————-**
श्री शौकत अली खाँ संपूर्ण ओजस्विता के साथ सक्रिय थे । अभी लंबे समय तक साहित्य और समाज को उनसे योगदान की अपेक्षा थी। हाल ही में 24 अक्टूबर 2021 को वह रियासतकालीन सौलत पब्लिक लाइब्रेरी के अध्यक्ष निर्वाचित हुए थे । उनकी कर्मठता और साहित्यिक योग्यता के कारण सबका विश्वास था कि वह कुछ ऐसा कर सकेंगे जो अभी तक नहीं हो पाया है । वह अपने जीवन की सर्वश्रेष्ठ पारी खेलने के लिए मैदान में खड़े थे । वह कर्म में विश्वास करते थे और कर्मरत रहते हुए ही इस दुनिया से चले गए। एक दोहे से उनको विनम्र प्रणाम …
स्याही धोखा दे गई ,कलम हुई मजबूर
पथ के राही ने कहा ,मंजिल अब भी दूर
■■■■■■■■■■■■■■■■
लेखक :रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर ,उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451

202 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all

You may also like these posts

अब गुज़ारा नहीं
अब गुज़ारा नहीं
Dr fauzia Naseem shad
हो सकता है कि अपनी खुशी के लिए कभी कभी कुछ प्राप्त करने की ज
हो सकता है कि अपनी खुशी के लिए कभी कभी कुछ प्राप्त करने की ज
Paras Nath Jha
वक्त रेत सा है
वक्त रेत सा है
SATPAL CHAUHAN
राम हैं क्या ?
राम हैं क्या ?
ललकार भारद्वाज
"मुश्किलों के प्रभाव में जी रहे हैं ll
पूर्वार्थ
हमेशा सही काम करते रहने से,
हमेशा सही काम करते रहने से,
Ajit Kumar "Karn"
💐💐💐💐दोहा निवेदन💐💐💐💐
💐💐💐💐दोहा निवेदन💐💐💐💐
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
🌻 गुरु चरणों की धूल🌻
🌻 गुरु चरणों की धूल🌻
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
“किरदार भले ही हो तकलीफशुदा  ,
“किरदार भले ही हो तकलीफशुदा ,
Neeraj kumar Soni
कुछ लोग
कुछ लोग
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
चुनौतियाँ शहरों की
चुनौतियाँ शहरों की
Chitra Bisht
तुम से मोहब्बत है
तुम से मोहब्बत है
Surinder blackpen
मैथिली मानकीकरण।
मैथिली मानकीकरण।
Acharya Rama Nand Mandal
बेटियां प्रेम करती हैं तो इज़्ज़त उछल जाती है.....
बेटियां प्रेम करती हैं तो इज़्ज़त उछल जाती है.....
Ranjeet kumar patre
सुनते भी रहे तुमको मौन भी रहे हरदम।
सुनते भी रहे तुमको मौन भी रहे हरदम।
Abhishek Soni
टूटा दिल शायर तो ज़रूर बना,
टूटा दिल शायर तो ज़रूर बना,
$úDhÁ MãÚ₹Yá
17. सकून
17. सकून
Lalni Bhardwaj
बेमिसाल इतिहास
बेमिसाल इतिहास
Dr. Kishan tandon kranti
सावन गीत
सावन गीत
Pankaj Bindas
महान गुरु श्री रामकृष्ण परमहंस की काव्यमय जीवनी (पुस्तक-समीक्षा)
महान गुरु श्री रामकृष्ण परमहंस की काव्यमय जीवनी (पुस्तक-समीक्षा)
Ravi Prakash
Hamara Vidyalaya
Hamara Vidyalaya
Utsaw Sagar Modi
..
..
*प्रणय प्रभात*
*जिन पे फूल समझकर मर जाया करते हैं* (*ग़ज़ल*)
*जिन पे फूल समझकर मर जाया करते हैं* (*ग़ज़ल*)
Dushyant Kumar Patel
मेरा कुम्भ तेरा कुम्भ!!
मेरा कुम्भ तेरा कुम्भ!!
Jaikrishan Uniyal
14. Please Open the Door
14. Please Open the Door
Santosh Khanna (world record holder)
आदि भाल पर  अंत  की, कथा  लिखी  बेअंत ।
आदि भाल पर अंत की, कथा लिखी बेअंत ।
sushil sarna
"मोबाइल देवता"
Rahul Singh
यात्रा ब्लॉग
यात्रा ब्लॉग
Mukesh Kumar Rishi Verma
4149.💐 *पूर्णिका* 💐
4149.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
जिंदगी को बोझ मान
जिंदगी को बोझ मान
भरत कुमार सोलंकी
Loading...