Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Nov 2022 · 2 min read

कल्पना एवं कल्पनाशीलता

कल्पना संभावनाओं की मानसिक रचना है ।
मनुष्य का मस्तिष्क तीव्र गति से चलायमान रहता है। यह हर समय सोते -जागते चलता ही रहता है । जिसमें कल्पनाओं की सतत् उत्पत्ति होती रहती है। कल्पनाशीलता के दो पक्ष हैं :
प्रथम सार्थक पक्ष, इसमें किसी विशेष विषय में चिंतन एवं विश्लेषण एवं अंतर्निहित ज्ञान एवं आत्म तर्कों की कसौटी पर निष्कर्ष पर पहुंचना सम्मिलित है। अन्वेषण एवं अनुसंधान का आधार इस पक्ष की श्रेणी में आता है।
परिकल्पनाओं की उत्पत्ति एवं उनकी सत्यता का वास्तविकता के परिपेक्ष्य में चिंतन, तथा यथार्थ एवं अनुमान के अंतर को स्पष्ट करना इसमें प्रमुख है।
पूर्वानुभव एवं निहित प्रज्ञा की तीव्रता इस पक्ष के प्रमुख कारक हैं।
आत्म परिमार्जन हेतु आत्म विश्लेषण एवं चिंतन भी सार्थक कल्पनाशीलता के प्रमुख लक्षण हैं।
कल्पनाओं का सकारात्मक रूप सार्थक मंथन की श्रेणी में आता है।
कल्पनाशीलता का द्वितीय पक्ष यथार्थ से परे पूर्वाग्रह एवं धारणाओं से निर्मित मस्तिष्क के आभासी मंच पर निर्मित रचनाओं से संदर्भित है।
अधिकांशतः इसमें नकारात्मक चिंतन की अधिकता रहती है एवं सकारात्मक विचारों का अभाव होता है। इस प्रकार की कल्पना का आधार कही सुनी बातों पर एवं समूह मानसिकता से प्रेरित रहता है , तथा इनमें स्वीकार्य तथ्यों का अभाव रहता है।
कल्पनाशीलता मनुष्य का स्वाभाविक गुण है , जो भावनाओं एवं धारणाओं से प्रभावित होता है।
किसी व्यक्ति विशेष के अंतर्निहित संस्कार , बाह्य वातावरण ,जीवन की घटनाओं से सकारात्मक एवं नकारात्मक अनुभूति का प्रत्यक्ष एवं परोक्ष प्रभाव जो उसके मस्तिष्क पड़ता है , इन सभी कारको से उसकी कल्पनाशीलता प्रभावित होती है।
सकारात्मक कल्पनाशीलता कला एवं विज्ञान के क्षेत्र में सृजनात्मक विचारों को जन्म देती है ,
जिससे इन क्षेत्रों में असाधारण सृजनात्मक प्रतिभाओं का जन्म होता है।

1 Like · 477 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Shyam Sundar Subramanian
View all

You may also like these posts

जीने की राह
जीने की राह
Shyam Sundar Subramanian
कब करोगे जीवन का प्रारंभ???
कब करोगे जीवन का प्रारंभ???
सोनम पुनीत दुबे "सौम्या"
मित्रता
मित्रता
Dr.sima
रखो माहौल का पूरा ध्यान
रखो माहौल का पूरा ध्यान
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
भूख
भूख
अनिल मिश्र
साक्षात्कार- पीयूष गोयल लेखक
साक्षात्कार- पीयूष गोयल लेखक
Piyush Goel
अमृत वचन
अमृत वचन
Dinesh Kumar Gangwar
केही कथा/इतिहास 'Pen' ले र केही 'Pain' ले लेखिएको पाइन्छ।'Pe
केही कथा/इतिहास 'Pen' ले र केही 'Pain' ले लेखिएको पाइन्छ।'Pe
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
देख यहाँ अब त्रासदी, नैना बहते लोर |
देख यहाँ अब त्रासदी, नैना बहते लोर |
संजय निराला
जीवन की जटिलताओं को छोड़कर सरलता को अपनाना होगा।
जीवन की जटिलताओं को छोड़कर सरलता को अपनाना होगा।
Ajit Kumar "Karn"
एक ग़ज़ल
एक ग़ज़ल
Kshma Urmila
*Beauty*
*Beauty*
Veneeta Narula
- बहुत याद आता है उसका वो याराना -
- बहुत याद आता है उसका वो याराना -
bharat gehlot
रामनवमी की शुभ बेला
रामनवमी की शुभ बेला
AVINASH (Avi...) MEHRA
3524.🌷 *पूर्णिका* 🌷
3524.🌷 *पूर्णिका* 🌷
Dr.Khedu Bharti
35. शहर पुराना
35. शहर पुराना
Rajeev Dutta
"चाबी वाला खिलौना"
Dr. Kishan tandon kranti
जब किसी व्यक्ति का मन और रुचि किसी काम के प्रति एकाग्र नही ह
जब किसी व्यक्ति का मन और रुचि किसी काम के प्रति एकाग्र नही ह
Rj Anand Prajapati
संघर्ष की राहों पर जो चलता है,
संघर्ष की राहों पर जो चलता है,
Neelam Sharma
दीवाली (बाल कविता)
दीवाली (बाल कविता)
Ravi Prakash
लू गर्मी में चलना, आफ़त लगता है।
लू गर्मी में चलना, आफ़त लगता है।
सत्य कुमार प्रेमी
ए सी का किरदार
ए सी का किरदार
RAMESH SHARMA
🎊🎉चलो आज पतंग उड़ाने
🎊🎉चलो आज पतंग उड़ाने
Shashi kala vyas
ये आशिकी मेरी कोरे रंग से ऐसी,
ये आशिकी मेरी कोरे रंग से ऐसी,
Manisha Manjari
!! रिश्वतखोरी !!
!! रिश्वतखोरी !!
Chunnu Lal Gupta
जब दिल टूटता है
जब दिल टूटता है
VINOD CHAUHAN
..
..
*प्रणय प्रभात*
अकेले तय होंगी मंजिले, मुसीबत में सब साथ छोड़ जाते हैं।
अकेले तय होंगी मंजिले, मुसीबत में सब साथ छोड़ जाते हैं।
पूर्वार्थ
दोहा
दोहा
seema sharma
शब्द और उम्र
शब्द और उम्र
Shekhar Deshmukh
Loading...