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20 Jul 2022 · 1 min read

बेच रहे हैं देश

***** बेच रहें हैं देश (दोहवली) ******
********************************

भगत सिंह सूली चढ़े,आज़ाद हुआ देश।
जिनके हाथों में दिया , बेच रहें हैं देश।।

देशभक्त बदनाम कर,करें देश पर राज।
हरकतें विपरीत करें,ज़रा न आएं बाज।।

बेगैरत सियासत हुई, बिगड़े बहुत तेवर।
आन-बान की शान में,बिकते रोज जेवर।।

मनसीरत मन है मरे , मर गई है सोच।
जन आगे कैसे बढ़े ,पैर – पैर पर मोच।।
*******************************
सुखविन्दर सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

Language: Hindi
243 Views

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