Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Aug 2019 · 1 min read

दहेज

विधा-कुकुभ एवं ताटंक छंदाधारित मुक्तक

देख तराजू दुल्हा बैठा, कलप रही बेटी प्यारी।
दे दी घर की दौलत सारी, फिर भी है पलड़ा भारी।
ये दौलत के कितने भूखे, करते हैं सौदाबाजी,
वस्तु समझ खरीदते बेटी, ये कैसी रिश्तेदारी।
कलप रही बेटी प्यारी।

एक पिता के सिर पर आया, ऋण का यह बोझा भारी।
मंगल सूत्र गवा कर अपना, छुप रोती माँ बेचारी।
तने खड़े हैं लड़के वाले, देते ताने पर ताने,
विदा करें बिटिया को कैसे, मात-पिता की लाचारी।
कलप रही बेटी प्यारी।

काँप रहें हैं अवनी अंबर,मोल लगाया है भारी।
ये क्रुर दहेज के दानव ने,छीन लिया खुशियाँ सारी।
बंद नहीं हो पाई अब तक, ये प्रथा गैर कानूनी,
बढ़ रहा है दंश जहरीला, बन गई है महामारी।
कलप रही बेटी प्यारी।

पढ़ाओ लिखाओ बेटी को, लेने दो जिम्मेदारी,
बेटी को तुम कम मत आँको, ये है बेटों पर भारी।
दहेज के खिलाफ मिल जुल कर, आवाज उठानी होगी,
इस कलंक को धो डाले हम, चल दूर करें बीमारी।
कलप रही बेटी प्यारी।
स्वरचित
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली

526 Views
Books from लक्ष्मी सिंह
View all

You may also like these posts

..
..
*प्रणय*
-कुण्डलिया छंद
-कुण्डलिया छंद
पूनम दीक्षित
पलकों की
पलकों की
हिमांशु Kulshrestha
उसे भूला देना इतना आसान नहीं है
उसे भूला देना इतना आसान नहीं है
Keshav kishor Kumar
आकर्षण का नियम
आकर्षण का नियम
महेश चन्द्र त्रिपाठी
क्रांतिकारी किसी देश के लिए वह उत्साहित स्तंभ रहे है जिनके ज
क्रांतिकारी किसी देश के लिए वह उत्साहित स्तंभ रहे है जिनके ज
Rj Anand Prajapati
करवाचौथ
करवाचौथ
Dr Archana Gupta
अश्रु
अश्रु
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
"अधूरा गीत" ग़ज़ल/गीतिका
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
कान्हा ओ कान्हा!
कान्हा ओ कान्हा!
Jaikrishan Uniyal
गुलमोहर के लिए
गुलमोहर के लिए
Akash Agam
कोशिश करना छोड़ो मत,
कोशिश करना छोड़ो मत,
Ranjeet kumar patre
माँ की चाह
माँ की चाह
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
गुज़ारिश है तुमसे
गुज़ारिश है तुमसे
पूनम 'समर्थ' (आगाज ए दिल)
2590.पूर्णिका
2590.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
दूध का वैज्ञानिक विश्लेषण
दूध का वैज्ञानिक विश्लेषण
Anil Kumar Mishra
नम्रता पर दोहे
नम्रता पर दोहे
sushil sharma
रिश्तों का बंधन
रिश्तों का बंधन
Sudhir srivastava
नया सपना
नया सपना
Kanchan Khanna
पूछूँगा मैं राम से,
पूछूँगा मैं राम से,
sushil sarna
करुण शहर है मेरा
करुण शहर है मेरा
श्रीहर्ष आचार्य
फिर उठोगे
फिर उठोगे
Dr. Vaishali Verma
*तन्हाँ तन्हाँ  मन भटकता है*
*तन्हाँ तन्हाँ मन भटकता है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
दीप जले
दीप जले
Nitesh Shah
।। धन तेरस ।।
।। धन तेरस ।।
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
এটি একটি সত্য
এটি একটি সত্য
Otteri Selvakumar
*सब जग में सिरमौर हमारा, तीर्थ अयोध्या धाम (गीत)*
*सब जग में सिरमौर हमारा, तीर्थ अयोध्या धाम (गीत)*
Ravi Prakash
I had to learn to take care of myself, to slow down when nee
I had to learn to take care of myself, to slow down when nee
पूर्वार्थ
दो सहोदर
दो सहोदर
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
'मूक हुआ आँगन'
'मूक हुआ आँगन'
जगदीश शर्मा सहज
Loading...